रलायता ग्राम पंचायत में एनीकट मनरेगा कार्य स्थल पर काम कर रह हैं। उन्होंने बताया कि महाराष्ट्र में वर्षो से हलवाई का काम करते थे। लॉकडाउन से काम बंद होने पर गांव लौट आएं। घर के कामों में हाथ बटाने लगे परन्तु भी यहां भी लॉकडाउन से परिवार का गुजारा चलाना भी मुश्किल होने लगा। रोजगार के लिए गांव में चलने वाली मनरेगा में आवेदन किया और मनरेगा में मजदूरी कर अपना व परिवार का पेट पाल रहे हैं।
यही कहानी में महाराष्ट्र में ट्रेक्टर कम्प्रेशर चलाने वाले कैलाश जाट और ट्रक ड्राइवर सांवरलाल जाट की भी है।
भागवती बैरवा, प्रेम जाट, संजू जाट सहित ऐसी कई महिला श्रमिक भी प्रथम बार मनरेगा में मजदूरी करने आ रही है।
ग्रामीणों का कहना है लॉकडाउन से सब्जी व फलों की फसलों में भी भारी नुकसान हुआ है। नकदी फसलों से परिवार को चलाने में काफी मदद मिलती थी। अब मनरेगा से ही रोजगार की उम्मीद टिकी हुई है। मनरेगा कार्यस्थल पर लगे शंकरलाल जाट ने बताया कि अन्य प्रदेशों में काम करने वाले लोग बिना शर्म व ज़िझक के मनरेगा में काम करने पहुंच रहे हैं। कई लोग तो ऐसे हैं जिन्होंने ने पहली बार मनरेगा देखी है।