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जयपुर

मनरेगा बनी संकटमोचक

गांव लौटे लोगों को मनरेगा में मिल रहा रोजगारगांव की मिट्टी बुझा रही पेट की आग

जयपुरJun 03, 2020 / 06:15 pm

Rakhi Hajela

मनरेगा बनी संकटमोचक

मनरेगा बनी संकटमोचक


लॉकडाउन के चलते देशभर में काम धंधे बंद हो गए। बाहरी प्रदेशों में काम करने वाले लोग अपने गांव लौट आएं। गांव लौट तो यहां भी बेरोजगारी सताने लगी। तभी महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना ने रोजगार की उम्मीद जगाई। सुबह गेती-फावड़ा लेकर मनरेगा में काम कर अपने परिवार को आर्थिक मदद देने का प्रयास लोग करने में जुटे हैं। अन्य प्रदेशों से गांव लौटे सैकड़ो लोग मनरेगा में मजदूरी कर रहे हैं।
महाराष्ट्र में वर्षो से हलवाई का काम करने वाले हरफूल जाट , चेतन कुमार जाट
रलायता ग्राम पंचायत में एनीकट मनरेगा कार्य स्थल पर काम कर रह हैं। उन्होंने बताया कि महाराष्ट्र में वर्षो से हलवाई का काम करते थे। लॉकडाउन से काम बंद होने पर गांव लौट आएं। घर के कामों में हाथ बटाने लगे परन्तु भी यहां भी लॉकडाउन से परिवार का गुजारा चलाना भी मुश्किल होने लगा। रोजगार के लिए गांव में चलने वाली मनरेगा में आवेदन किया और मनरेगा में मजदूरी कर अपना व परिवार का पेट पाल रहे हैं।
यही कहानी में महाराष्ट्र में ट्रेक्टर कम्प्रेशर चलाने वाले कैलाश जाट और ट्रक ड्राइवर सांवरलाल जाट की भी है।
भागवती बैरवा, प्रेम जाट, संजू जाट सहित ऐसी कई महिला श्रमिक भी प्रथम बार मनरेगा में मजदूरी करने आ रही है।
अब मनरेगा से उम्मीद
ग्रामीणों का कहना है लॉकडाउन से सब्जी व फलों की फसलों में भी भारी नुकसान हुआ है। नकदी फसलों से परिवार को चलाने में काफी मदद मिलती थी। अब मनरेगा से ही रोजगार की उम्मीद टिकी हुई है। मनरेगा कार्यस्थल पर लगे शंकरलाल जाट ने बताया कि अन्य प्रदेशों में काम करने वाले लोग बिना शर्म व ज़िझक के मनरेगा में काम करने पहुंच रहे हैं। कई लोग तो ऐसे हैं जिन्होंने ने पहली बार मनरेगा देखी है।

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