ब्रिटेन में समुद्र का निवाला बनेगी आद्रभूमि!
हाल ही वैज्ञानिकों ने एक नई चेतावनी जारी की है, जिसके अनुसार समुद्र का जलस्तर बढऩे की वजह से ब्रिटेन की तटीय आद्रभूमि वाले इलाके एक समय के बाद गायब हो जाएंगे।
ब्रिटेन में समुद्र का निवाला बनेगी आद्रभूमि!
वैज्ञानिकों के अनुसार ब्रिटेन के दक्षिणपूर्व तटों के साथ ऐसा विशेषतौर पर होगा। इस आंकलन के लिए
शोधकर्ताओं ने इस अनमोल पारिस्थितिक तंत्र के पिछले 10,000 वर्षों में समुद्र स्तर के परिवर्तनों को ट्रैक करने के साथ-साथ तलछट के नमूनों का परीक्षण किया। उन्होंने पाया कि समुद्री जल के इन तटीय आद्र्रभूमि में आगे बढऩे के बाद नॉरफॉक के आस-पास के दलदल और दक्षिणपूर्व इंग्लैंड के अन्य हिस्सों में वर्ष 2040 के बाद से ये गायब होना शुरू हो सकते हैं। अध्ययन का दावा है कि यह प्रवृत्ति धीरे-धीरे देश के बाकी हिस्सों में भी फैल जाएगी। ये तटीय आद्रभूमि तूफानों के खिलाफ महत्त्वपूर्ण सुरक्षा प्रदान करती है, जो कि इस सदी के अंत तक गायब हो सकती है। वैज्ञानिकों को यह भी फिक्र है कि इससे ताजा जल के स्रोतों पर भी असर पड़ेगा।
सॉल्ट मार्श या टाइडल मार्श
सॉल्ट मार्श या कोस्टल सॉल्ट मार्श को टाइडल मार्श भी कहा जाता है। ये समुद्र के पानी और भूमि के बीच एक बढिय़ा पारिस्थितकीय तंत्र बनाने का काम करते हैं। ये दलदल वाले इलाके, लहरों के विरूद्ध एक बफर के रूप में कार्य करके वर्षा जल को अवशोषित करके बाढ़ को रोकते हुए तटीय क्षेत्रों का क्षरण होने से बचाते हैं। इस भूमि पर घास, जड़ी-बूटी और कम झाडिय़ों जैसे नमक सहने वाली वनस्पति का प्रभुत्व होता है। नमक के ये दलदल, जलीय खाद्य वेब और तटीय पानी के लिए पोषक तत्वों की डिलीवरी में एक बड़ी भूमिका निभाते हैं। ये स्थलीय जानवरों का भी समर्थन करते हैं और उन्हें तटीय संरक्षण प्रदान करते हैं। इसलिए एक बढिय़ा इको-सिस्टम बनाए रखने के लिए प्रकृति में इनकी उपयोगिता और भी बढ़ जाती है।
लुप्त हो रही तटीय समृद्धता
ब्रि टेन में दलदल थेम्स, सोलेंट, ब्रिस्टल चैनल, द वॉश, हंबर, मर्से, सोल्वे फर्थ, फर्थ ऑफ फोर्थ, क्लाइडे और क्रोमार्टी फर्थ के मुहाने पर होते हैं। इस शोध से जुड़े प्रमुख वैज्ञानिक प्रो. बेंजामिन होरटन के अनुसार नमक का यह दलदल समुद्र और जमीन के लिए काफी जरूरी होती है। साथ ही मछलियों, केकड़े और लोबस्टर आदि के लिए भी इसका काफी महत्त्व है लेकिन हम काफी तीव्रता से इस तटीय समृद्धता के आर्थिक और पारिस्थितकीय पहलुओं को खोते जा रहे हैं। यह शोध नेचर कम्युनिकेशन (साइंटिफिक जर्नल) में प्रकाशित हुआ है। वैज्ञानिकों का मानना है कि जहरीली गैसों के उत्सर्जन में कमी करके ही हम इस समस्या पर काबू पा सकते हैं और ऐसा जल्द करना जरूरी है।
अमरीका में भी फैला है विलुप्ति का डर
फ रवरी में अमरीका की ओर से किए गए एक सर्वे के अनुसार प्रशांत महासागर की आद्र्रभूमि को भी इसी तरह से काफी नुकसान पहुंच रहा है क्योंकि जलस्तर में लगातार इजाफा हो रहा है। इस रिसर्च के अनुसार सबसे ज्यादा खतरा मौजूदा समय में कैलिफोनिर्या के कोस्टल मार्श (तटीय दलदल) को है। शोधकर्ताओं ने अपने इस अध्ययन में समुद्र के जलस्तर को उच्च , मध्य और निम्न भागों में बांटा। उनका कहना था कि जलस्तर में यदि निम्न वृद्धि होती है तो प्रभाव मामूली होगा। लेकिन अगर मध्य या उ’च स्तर पर जलस्तर बढ़ा तो उस स्थिति में कैलिफोर्निया के कई कोस्टल मार्श पूरी तरह से विलुप्त हो जाएंगे। ऐसे में जरूरी है कि देश अपनी आद्रभूमि को बचाने के लिए तत्परता दिखाए।
समुद्र तब होगा अपने उफान पर
वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि वर्ष 2015 के पेरिस जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने के बावजूद वैश्विक समुद्र का स्तर 2100 तक 1.2 मीटर तक बढ़ सकता है। दीर्घकालिक परिवर्तन ग्रीनलैंड से अंटार्कटिका तक बर्फ से प्रेरित होगा, जो वैश्विक तटीय रेखाओं को प्रभावित करेगा। समुद्र के जलस्तर में वृद्धि शंघाई, लंदन, फ्लोरिडा, बांग्लादेश और मालदीव्स के तटीय शहरों के लिए सबसे बड़ा खतरा है। एक नई रिपोर्ट में जर्मन नेतृत्व वाली टीम ने कहा कि हमें जितना जल्दी हो सके, कार्बन उत्सर्जन को रोकना होगा क्योंकि आने वाले वर्षों में समुद्र का जलस्तर काफी तेजी से बढ़ेगा और ऐसे में मानवता के सामने अस्तित्व का एक बड़ा संकट खड़ा होगा।
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