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पिता अरब पति, खुद गोल्डमेडलिस्ट फिजिशियन… फिर भी बन गईं साध्वी… पढ़ें एक रोचक खबर

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जयपुरJul 19, 2018 / 02:59 pm

Nidhi Mishra

MBBS Heena Jain Monk in Surat - Daughter of Billionaire Businessman

MBBS Heena Jain Monk in Surat – Daughter of Billionaire Businessman

सूरत/पाली/जयपुर। जैनम जयति शासनम… दीक्षार्थी अमर रहो… के जयकारे बुधवार सुबह वेसू के विजयलक्ष्मी हॉल में देर तक गूंजते रहे। इन जयकारों के बीच मुमुक्षु डॉ. हिनाकुमारी हिंगड़ ने सांसारिकता का त्याग कर साध्वी विशारदमाला का संत स्वरूप धारण किया।

विजयलक्ष्मी हॉल में दीक्षा विधि से पूर्व मंगलवार को मुमुक्षु डॉ हिनाकुमारी हिंगड़ की वर्षीदान शोभायात्रा निकाली गई। इस दौरान मुमुक्षु ने सांसारिक वस्तुओं का त्याग किया। शाम को रंगछंटाई व सम्मान समारोह के बाद गुरूवार तड़के से दीक्षा विधि समारोह का आयोजन आचार्य यशोवर्म सूरीश्वर समेत अन्य संतवृंद के सान्निध्य में किया गया। सुबह नौ बजे विभिन्न मंत्रों के उच्चारण के साथ हॉल में मौजूद सूरत समेत राजस्थान, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु के कई श्रद्धालुओं के बीच दीक्षा विधि शुरू की गई।

खुशी से झूमी मुमुक्षु
महोत्सव में आचार्य यशोवर्म सूरीश्वर ने मुमुक्षु डॉ. हिनाकुमारी को रजोहरण अर्पण किया तो खुशी से मुमुक्षु मंच पर झूमने लगी और हॉल में श्रद्धालुओं ने जय जयकार की।

दीक्षा अमर रहे के स्वर से गूंजा मंच
इसके बाद परिजनों के साथ साधु वेष में मुमुक्षु मंच पर आईं और श्रद्धालुओं ने दीक्षार्थी अमर रहे की गूंज की। इस दौरान डॉ हिनाकुमारी हिंगड़ का संयम नाम साध्वी विशारदमालाश्री घोषित किया गया। नूतन साध्वी अपनी गुरूवर्या साध्वी विबुधमालाश्री के सान्निध्य में साधु जीवन में साधना कर आत्मकल्याण का मार्ग प्रशस्त करेंगी।

पाली जिले की हैं रहनेवाली
गौरतलब है कि डॉ हिनाकुमारी हिंगड़ पाली जिले के घाणेराव निवासी अशोक कुमार हिंगड़ की बेटी हैं। डॉ. हिनाकुमारी हिंगड़ के दीक्षा लेने से घाणेराव के जैन समाज में भी खुशी का माहौल नजर आया। आपको बता दें कि हिना के पिता अशोक कुमार का यार्न का कारोबार है। पिछले पांच वर्षों से वे मुंबई में रह रहे हैं। एमबीबीएस टॉपर रहीं हिना हिंगड़ पिछले कई सालों से अपने परिजनों को सन्यास के लिए मना रही थी। हिना छह बहनों में सबसे बड़ी हैं। हिना के पिता अरबपति हैं।
तीन सालों से कर रही प्रैक्टिस
आपको बता दें कि अहमदनगर विश्वविद्यालय से गोल्ड मेडलिस्ट हिना पिछले तीन सालों से प्रैक्टिस कर रही थीं। हिना फिजिशियन हैं। पढ़ाई के दौरान ही वे आध्यात्म की तरफ खिंच गई थीं। हालांकि हिना के फैसले से उनका परिवार खुश नहीं था, लेकिन वे अपने फैसले पर टिकी रहीं।
आखिरकार उनके मजबूत इरादों के आगे परिवार झुक गया। हिना का कहना है कि सांसारिक जीवन छोड़कर, सारी सुख सुविधाओं का त्याग कर के जैन भिक्षु बनना आसान नहीं हैं। डॉक्टर बन कर वे अब तक लोगों का कल्याण करती आई हैं, अब समाज का कल्याण करेंगी। उन्होंने कहा कि मैं जो कर रही हूं, वो आत्मा की शुद्धि के लिए है।
48 दिनों का ध्यान किया
दीक्षा से पहले हर मुमुक्षु को 48 दिनों का ध्यान करना होता है, जो हिना ने पूरा किया। आचार्य विजय ने बताया कि हिना ने अपने पिछले जन्म में किए गए ध्यान और श्रद्धा की वजह से जैन धर्म की दीक्षा लेना स्वीकार किया है।

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