एसीबी के पास पूरी लिस्ट, फिलहाल तीन गिरफ्तार, संख्या बढकर दस तक जा सकती है
जयपुर से गई टीम ने बताया कि पूरे घटनाक्रम पर लगातार चार से पांच दिन तक नजर रखी गई और संविदा पर लगने वाले बेरोजगार युवाओं के साथ भी टीम के सदस्य गए। भर्ती करने वाली गुजरात की कंपनी अपने दलाल के जरिए बिना किसी डर के सीधे ही रिश्वत की मांग कर रही थी। नब्बे हजार से एक लाख पचास हजार रुपए रेट फिक्स कर दी गई थी। इस बारे में मेडिकल कमेटी को भी बेरोजगारों ने बताया था लेकिन उन्होनें ने भी कोई एक्शन नहीं लिया। इस पूरे खुलासे के बाद मेडिकल कमेटी टीम के सदस्यों से भी पूछताछ की जा रही है। एसीबी अफसरों ने बताया कि फिलहाल अब तक भरत, महिलाप और मिनेष को गिरफ्तार किया गया है। सांसद बालकनाथ के पीए को भी जल्द गिरफ्तार किया जा सकता है। पूरे घोटाले मंे गिरफ्तार लोगों की संख्या बढ़ना तय है।
जयपुर से गई टीम ने बताया कि पूरे घटनाक्रम पर लगातार चार से पांच दिन तक नजर रखी गई और संविदा पर लगने वाले बेरोजगार युवाओं के साथ भी टीम के सदस्य गए। भर्ती करने वाली गुजरात की कंपनी अपने दलाल के जरिए बिना किसी डर के सीधे ही रिश्वत की मांग कर रही थी। नब्बे हजार से एक लाख पचास हजार रुपए रेट फिक्स कर दी गई थी। इस बारे में मेडिकल कमेटी को भी बेरोजगारों ने बताया था लेकिन उन्होनें ने भी कोई एक्शन नहीं लिया। इस पूरे खुलासे के बाद मेडिकल कमेटी टीम के सदस्यों से भी पूछताछ की जा रही है। एसीबी अफसरों ने बताया कि फिलहाल अब तक भरत, महिलाप और मिनेष को गिरफ्तार किया गया है। सांसद बालकनाथ के पीए को भी जल्द गिरफ्तार किया जा सकता है। पूरे घोटाले मंे गिरफ्तार लोगों की संख्या बढ़ना तय है।
मिन्नते करते रहे बेरोजगार, भारी ब्याज पर रुपए लाकर दिए, लेकिन अब भर्ती पर ही संकट
एसीबी अफसरों ने बताया कोरोनाकाल में सरकार ने मेडिकल में भर्ती के लिए पूरी प्लानिंग कर गुजरात की एक कंपनी को इसका ठेका दिया था। कंपनी ने काम शुरु किया तो बेरोजगार युवा खुश हुए कि अब उनको काम मिल जाएगा। लेकिन जब पता चला कि नब्बे हजार से एक लाख पचास हजार रुपए तक रिश्वत लग रही है तो कईयों के सपने टूट गए। अफसरों को जो सूचनाएं दी गई उस आधार पर एसीबी अफसरों ने बताया कि कई बेरोजगारों ने तो दस रुपए सैंकड़ा ब्याज तक पर पैसा लिया और कईयों ने घर के जेवर तक बेच डाले। तब जाकर यह रुपया जमा किया। लेकिन अब भर्ती के भविष्य पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं।
एसीबी अफसरों ने बताया कोरोनाकाल में सरकार ने मेडिकल में भर्ती के लिए पूरी प्लानिंग कर गुजरात की एक कंपनी को इसका ठेका दिया था। कंपनी ने काम शुरु किया तो बेरोजगार युवा खुश हुए कि अब उनको काम मिल जाएगा। लेकिन जब पता चला कि नब्बे हजार से एक लाख पचास हजार रुपए तक रिश्वत लग रही है तो कईयों के सपने टूट गए। अफसरों को जो सूचनाएं दी गई उस आधार पर एसीबी अफसरों ने बताया कि कई बेरोजगारों ने तो दस रुपए सैंकड़ा ब्याज तक पर पैसा लिया और कईयों ने घर के जेवर तक बेच डाले। तब जाकर यह रुपया जमा किया। लेकिन अब भर्ती के भविष्य पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं।