झुंझुनूं निवासी महिला ने सामूहिक रैप का आरोप और पुलिस जांच से असंतोष जाहिर करते हुए राजस्थान उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखा था। इसके बाद मुख्य न्यायाधीश ने पत्र राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण को सौंप दिया था। जिसके बाद महिला को प्राधिकरण ने नि:शुल्क विधिक सहायता उपलब्ध करवाई है। महिला की ओर से उच्च न्यायालय में गर्भपात की अनुमति के लिए याचिका दायर हुई है जिस पर मुख्य न्यायाधीश ने मंगलवार को सुनवाई की। महिला की ओर से अधिवक्ता शालिनी श्योरॉण ने कहा कि करीबन 18 सप्ताह की गर्भावस्था हो चुकी है ऐसे में न्यायालय को इसमें तत्काल फैसला करना चाहिए। ताकि किसी तरह की कानूनी पेचदगी पैदा नही हो। जिसके बाद महिला और भ्रूण की जांच के लिए न्यायालय ने मेडिकल बोर्ड के गठन करने के आदेश दिए ताकि गर्भपात होने की स्थिति में महिला को किसी तरह के नुकसान नहीं होने का पता चल सके।