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जयपुर

चुनावी साल में नरम पड़ा विभाग, आंकड़ों में सामने आई हकीकत

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जयपुरJan 19, 2019 / 11:45 am

Mridula Sharma

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चुनावी साल में नरम पड़ा विभाग, आंकड़ों में सामने आई हकीकत

विकास जैन/जयपुर. चिकित्सा विभाग ने खाद्य सामग्री की जांच के लिए जयपुर जिले में पिछले 3 साल के दौरान सबसे कम नमूने 2018 यानी चुनावी साल में लिए। जबकि जांच में सर्वाधिक घटिया नमूने इसी साल में सामने आए। वर्ष 2018 में विभाग मिलावटी खाद्य सामग्री बेचने वालों पर मेहरबान रहा। जांच नमूनों का दायरा घटाकर करीब आधा करने की कोशिश की। खुद विभाग ने पिछले 3 साल में जयपुर जिला प्रथम में लिए गए नमूनों व जांच रिपोर्ट के आंकड़े जारी किए तो यह स्थिति सामने आई है।
इन आंकड़ों के अनुसार 2018 में विभाग ने जांच के लिए मात्र 292 नमूने लिए। जबकि सबसे ज्यादा घटिया व अमानक श्रेणी के जांच नमूने 2018 में ही पाए गए। जयपुर जिला प्रथम में 3 साल में लिए गए 1340 नमूनों में से विभाग ने 54 फीसदी नमूनों को अमानक, अनसेफ, मिस ब्रांड और सब स्टैंडर्ड की श्रेणी में माना है। यानी संबंधित खाद्य सामग्री खाने योग्य नहीं थी या जानलेवा हो सकती थी। इनमें से 72 नमूने तो पूरी तरह असुरक्षित मिले।
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दावा
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (जयपुर प्रथम) डॉ. नरोत्तम शर्मा का दावा है कि खाद्य सामग्री की जांच के लिए विभाग सतत रूप से नमूने लेता है। उन पर नियमानुसार न्यायिक व अन्य कार्यवाही होती है। नमूनों की संख्या में उतार-चढ़ाव आना सामान्य है।
हकीकत
चिकित्सा विभाग जांच का दायरा मनमाफिक घटाता-बढ़ाता रहा है। सतत जांच व सैंपलिंग के बजाय केवल त्यौहार या विशेष मौकों पर अभियान चलाता है। कुछ टीमें साल में कुछ ही मौकों पर फील्ड में नजर आती हैं, तब भी ज्यादातार गुपचुप सैंपलिंग होती है।
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