इन आंकड़ों के अनुसार 2018 में विभाग ने जांच के लिए मात्र 292 नमूने लिए। जबकि सबसे ज्यादा घटिया व अमानक श्रेणी के जांच नमूने 2018 में ही पाए गए। जयपुर जिला प्रथम में 3 साल में लिए गए 1340 नमूनों में से विभाग ने 54 फीसदी नमूनों को अमानक, अनसेफ, मिस ब्रांड और सब स्टैंडर्ड की श्रेणी में माना है। यानी संबंधित खाद्य सामग्री खाने योग्य नहीं थी या जानलेवा हो सकती थी। इनमें से 72 नमूने तो पूरी तरह असुरक्षित मिले।
दावा
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (जयपुर प्रथम) डॉ. नरोत्तम शर्मा का दावा है कि खाद्य सामग्री की जांच के लिए विभाग सतत रूप से नमूने लेता है। उन पर नियमानुसार न्यायिक व अन्य कार्यवाही होती है। नमूनों की संख्या में उतार-चढ़ाव आना सामान्य है।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (जयपुर प्रथम) डॉ. नरोत्तम शर्मा का दावा है कि खाद्य सामग्री की जांच के लिए विभाग सतत रूप से नमूने लेता है। उन पर नियमानुसार न्यायिक व अन्य कार्यवाही होती है। नमूनों की संख्या में उतार-चढ़ाव आना सामान्य है।
हकीकत
चिकित्सा विभाग जांच का दायरा मनमाफिक घटाता-बढ़ाता रहा है। सतत जांच व सैंपलिंग के बजाय केवल त्यौहार या विशेष मौकों पर अभियान चलाता है। कुछ टीमें साल में कुछ ही मौकों पर फील्ड में नजर आती हैं, तब भी ज्यादातार गुपचुप सैंपलिंग होती है।
चिकित्सा विभाग जांच का दायरा मनमाफिक घटाता-बढ़ाता रहा है। सतत जांच व सैंपलिंग के बजाय केवल त्यौहार या विशेष मौकों पर अभियान चलाता है। कुछ टीमें साल में कुछ ही मौकों पर फील्ड में नजर आती हैं, तब भी ज्यादातार गुपचुप सैंपलिंग होती है।