हॉलीवुड के मशहूर फिल्म निर्देशक स्टीवन सोडरबर्ग़ की ‘ओशियन इलेवन’, ”लोगन लकी’ और निर्देशक ग्रेटा गेरविग ‘ट्वंटीथ सेंचुरी वुमन’, ‘जैकी’ जैसी कई मशहूर इंडी फिल्मों का निर्माण कर चुके हैं। वही बॉलीवुड की ‘गैंग्स ऑफ़ वासेपुर’ के निर्देशक अनुराग कश्यप और ‘मसान’ के निर्देशक नीरज घेवन भी इंडी फिल्ममेकर्स की श्रेणी में आते हैं। इंडी फिल्ममेकिंग में फिल्मकार अपने निज़ी कलात्मक दृष्टिकोण से कम बजट में फिल्म का निर्माण करता हैं। जब कभी भी किसी फिल्मकार को किसी बड़े फिल्म स्टूडियो से सहायता नहीं मिलती तो वो फिर इंडी फिल्ममेकिंग की राह पकड़ता है।
इंडी फिल्ममेकिंग न सिर्फ फिल्में बल्कि वेब सीरीज भी बनाई जाती हैं जिसके के प्रति भी युवाओं रुझान बढ़ने लगा हैं । एक ही तरह के बॉलवुड सिनेमा और टेलीविजन के डेली सोप से बोर हो चुके दर्शको के बीच वेब सीरीज बहुत लोकप्रिय हो रही हैं। पिछले दिनों जिस तरह से’ टी वी एफ’ और’ ऐ आई बी’ जैसे यू ट्यूब चैनलों को लोगो ने हाथों हाथ लिया है उससे वेब सीरीज़ों के निर्माण में बहुत वृद्धि आयी हैं। आज यू ट्यूब के ज़रिये अपनी कहानी कहने का ये नया तरीक़ा है जिसका एक बहुत बड़ा हिस्सा युवा दर्शकों का है।
इसी कड़ी में जयपुर के युवा फ़िल्मकार अंकित शर्मा का भी नाम जुड़ गया है। कॉलेज से इंजीनियरिंग करने के बाद अंकित शर्मा को जब कही से भी किसी तरह की सहायता नहीं मिली तो उन्होंने अपना खुद की फिल्म प्रोडक्शन कंपनी ‘स्टोनड फिल्म हाउस’ बनायी और अपने दम पर अपनी वेब सीरीज़ बनाने की ठानी। अंकित पिछले एक साल से अपनी वेब सीरीज़ ‘हियर इज अनदर स्टोरी ‘ के निर्माण में लगे हुए है जो हालिया ही यू ट्यूब पर रिलीज़ हुई है। अपनी फिल्म के प्रमोशन में जुटे जयपुर के इस नए इंडी फिल्ममेकर से हमने उनके इस सफर के बारे में जाना ।
प्रश्न: इंजीनियरिंग करने के बाद कैसे आपका अचानक फिल्ममेकिंग में आना हुआ? ये फैसला खुद का था या किसी और का ? अंकित : नहीं फैसला खुद का था। इंजीनियरिंग मैने अपनी मर्जी से चुनी थी और दबाव जैसी कोई चीज़ नहीं थी। बचपन से ही फिल्मो का बहुत शौक था। जब क्लास चल रही होती थी तब जो फिल्मे मैंने देखी थी उनके दृश्य अपने दिमाग में रिक्रिएट करता रहता था और मैं अलग ही दुनिया में रहता था। हमेशा से मुझे रोबोट और कंप्यूटर बेस्ड फिल्मे बहुत आकर्षित करती थी। कॉलेज के सेकंड ईयर में मैने अपना फिल्ममेकर बनने का पूरा मन बना लिया था। क्यूंकि इंजीनियरिंग करते समय इंटरनेट से आपको सारी जानकारी मिल जाती हैं। वहीं से ही फिल्ममेकिंग के बारे में पता चला और उसी साल से कॉलेज में ही फिल्म बनाना शुरू किया।
प्रश्न : आपके फिल्म प्रोडक्शन हाउस और वेब सीरीज के बारे में बताये ?
अंकित: कॉलेज से निकलने के बाद सबसे पहले अपना फिल्म प्रोडक्शन हाउस खोला और उसके बाद कुछ शार्ट मूवीज बनाई । वेब सीरीज़ की कहानी पहले से ही तैयार थी पर उससे पहले थोड़ा और अनुभव लेना चाहता था । फिर जब लगा की अब सही वक़्त है तब सीरीज़ का काम शुरू किया । इस वेब सीरीज़ में चार यंग राइटर्स आर्या,ओरेन,नासिर,और रोनित की कहानी है जो कि चाहते हुए भी अपना पैशन फॉलो नहीं कर पा रहे है। उनकी लाइफ में जो कुछ भी घटनाये हो रही है वो सब उन्हें राइटर्स बनने से रोक रही है। एक दिन ये चारो राइटर्स संयोगवश मिलते है और कुछ ऐसा करते है जिससे उनकी पूरी लाइफ बदल जाती है।
अंकित: कॉलेज से निकलने के बाद सबसे पहले अपना फिल्म प्रोडक्शन हाउस खोला और उसके बाद कुछ शार्ट मूवीज बनाई । वेब सीरीज़ की कहानी पहले से ही तैयार थी पर उससे पहले थोड़ा और अनुभव लेना चाहता था । फिर जब लगा की अब सही वक़्त है तब सीरीज़ का काम शुरू किया । इस वेब सीरीज़ में चार यंग राइटर्स आर्या,ओरेन,नासिर,और रोनित की कहानी है जो कि चाहते हुए भी अपना पैशन फॉलो नहीं कर पा रहे है। उनकी लाइफ में जो कुछ भी घटनाये हो रही है वो सब उन्हें राइटर्स बनने से रोक रही है। एक दिन ये चारो राइटर्स संयोगवश मिलते है और कुछ ऐसा करते है जिससे उनकी पूरी लाइफ बदल जाती है।
प्रश्न : किस तरह का सिनेमा आपको पसंद हैं और क्या कोई मैसेज देना चाहते है आप अपने काम के द्वारा ?
अंकित : मुझे ‘डेविड फिंचर’ का सिनेमा बहुत पसंद है। उनकी मुझे ‘फाइट क्लब’ ‘सेवन’ जैसी फिल्मों ने बहुत इंस्पायर किया है ।इसके अलावा ‘क्रिस्टोफर नोलन’ की ‘इन्सेप्शन’ से बहुत प्रभावित हुआ हूँ । पर किसी भी तरह के सिनेमा में अपने आपको बांधना नहीं चाहता। सभी डायरेक्टर्स चाहे वो हॉलीवुड से हों या बॉलीवुड से कुछ न कुछ सीखने को मिलता है और सभी का काम करने का अलग अंदाज़ है। अब रही बात अपने काम से मैसेज देने की तो मैं सिर्फ एक कहानी कहना चाहता हूँ , मैसेज देना का मेरा इरादा नहीं होता है।
अंकित : मुझे ‘डेविड फिंचर’ का सिनेमा बहुत पसंद है। उनकी मुझे ‘फाइट क्लब’ ‘सेवन’ जैसी फिल्मों ने बहुत इंस्पायर किया है ।इसके अलावा ‘क्रिस्टोफर नोलन’ की ‘इन्सेप्शन’ से बहुत प्रभावित हुआ हूँ । पर किसी भी तरह के सिनेमा में अपने आपको बांधना नहीं चाहता। सभी डायरेक्टर्स चाहे वो हॉलीवुड से हों या बॉलीवुड से कुछ न कुछ सीखने को मिलता है और सभी का काम करने का अलग अंदाज़ है। अब रही बात अपने काम से मैसेज देने की तो मैं सिर्फ एक कहानी कहना चाहता हूँ , मैसेज देना का मेरा इरादा नहीं होता है।
प्रश्न : आपने राजस्थान की पहली इंग्लिश वेब सीरीज़ बनाई है। यह हिंदी या राजस्थानी में न होकर इंग्लिश में क्यों है? एक आम दर्शक इस वेब सीरीज़ से कैसे जुड़ाव महसूस करेगा?
अंकित : सच बताऊँ तो ये वेब सीरीज एक ख़ास दर्शक वर्ग को लेकर बनाई गयी है। एक आम दर्शक के लिये नहीं है क्यूंकि उनको ये समझ में नहीं आएगी। इस वेब सीरीज का मुख्य दर्शक यंग जनरेशन है क्यूंकि कहानी के किरदार नई जनरेशन के हैं । और जहाँ तक भाषा का सवाल है तो मेरे हिसाब से जो फील इस कहानी का इंग्लिश में आता है वो दूसरी किसी और लैंग्वेज में नहीं आएगा। आप सिर्फ दर्शकों की पहुँच बढ़ाने के लिए भाषा नहीं बदल सकते हैं। कुछ चीज़े उनके मूल रूप में ही रहे तो ही बेहतर है।
अंकित : सच बताऊँ तो ये वेब सीरीज एक ख़ास दर्शक वर्ग को लेकर बनाई गयी है। एक आम दर्शक के लिये नहीं है क्यूंकि उनको ये समझ में नहीं आएगी। इस वेब सीरीज का मुख्य दर्शक यंग जनरेशन है क्यूंकि कहानी के किरदार नई जनरेशन के हैं । और जहाँ तक भाषा का सवाल है तो मेरे हिसाब से जो फील इस कहानी का इंग्लिश में आता है वो दूसरी किसी और लैंग्वेज में नहीं आएगा। आप सिर्फ दर्शकों की पहुँच बढ़ाने के लिए भाषा नहीं बदल सकते हैं। कुछ चीज़े उनके मूल रूप में ही रहे तो ही बेहतर है।
प्रश्न : क्या आप से उम्मीद की जा सकती है कि आप कभी राजस्थानी सिनेमा या राजस्थानी भाषा में कुछ काम करेंगे ?
अंकित : देखिये अगर मैं हॉलीवुड से इंस्पायर हूँ और इंग्लिश में वेब सीरीज़ बनता हूँ तो इसका मतलब ये बिलकुल नहीं है कि मैंने राजस्थानी सिनेमा की तरफ आँख बंद का रखी ही है। मेरे दिमाग में बहुत अच्छे अच्छे आईडिया हैं और आगे कभी मुमकिन हुआ तो उन्हें ज़रूर पूरा करूंगा। लेकिन आप सोचिये की कितने लोग राजस्थानी फिल्म देखने जाते हैं और कितनी राजस्थानी फिल्मे हाल ही में चली हैं । खुद राजस्थान के दर्शक राजस्थानी फिल्मे नहीं देखते है तो फिर उन्हें कोई बनाएगा ही क्यो? जो कुछ राजस्थानी सिनेमा को प्रोमोट करने के लिए पॉलिसीज़ हैं, उनके चक्कर में पूरा एक साल लग जाता है मगर फिर भी फण्ड नहीं मिलता हैं। साउथ ,बांग्ला मराठी ,भोजपुरी सिनेमा का अगर आज अस्तित्व है तो वो सिर्फ़ उनके प्रदेश की दर्शको और वहाँ की कम जटिल फण्ड पॉलिसीज़ की वजह से हैं जोकि राजस्थान में नहीं हैं ।सबसे बड़ी समस्या ये थी कि यहाँ से हमें सपोर्ट नहीं मिला।इसके चलते ‘विश्बेरी’ और मुंबई में कई स्टूडियो के चक्कर लगाने पड़े पर वहाँ से भी कोई जवाब नहीं मिला यहाँ की लोकल मीडिया का भी सपोर्ट न के बराबर था। तो फिर कोई क्यों और कैसे बनाएगा राजस्थानी भाषा में फिल्म?
प्रश्न : आपका इंडी फिल्ममेकिंग का सफर किस तरह का रहा कैसा अनुभव रहा ? अंकित : सबसे पहले तो मैं ये कहना चाहता हूँ कि पैसा एक समस्या है पर इसका हल निकला जा सकता है। उसके बाद एक अच्छी टीम का आपके पास होना ज़रूरी हैं । जोकि खुशकिस्मती से मेरे पास थी । पर कई बार ऐसा हुआ कि अभिनेता वक़्त पर नहीं आया तो स्क्रिप्ट बदलनी पडी। जिसका कारण था कि हमारे एक मुख्य अभिनेता को अगले दिन वापस अपने देश जाना था क्यूंकि उसका वीज़ा ख़त्म हो रहा था । कई बार लोकेशन की समस्या आयी। पूरी शूटिंग के दौरान कई हादसे भी हुए मगर आखिर में हमने ये वेब सीरीज़ पूरी की । उसके बाद सीरीज़ का प्रमोशन भी एक बड़ी चुनौती था। पर एक पूरी प्रोफेसनल्स की टीम के साथ काम करके मज़ा आया और इंडी फिल्ममेकिंग में सभी लोग अपने काम को लेकर पैशनेट होते हैं उन्हें काम करने के लिए कहना नहीं पड़ता है वो खुद अपने काम को लेकर बहुत सज़ग रहते थे। एक साल का ये सफर चुनौतियों से भरा हुआ था पर मज़ा आया।
प्रश्न : जयपुर से इरफ़ान खान , असरानी ,राजीव खंडेलवाल जैसे बड़े -बड़े कलाकार बॉलीवुड में स्थापित हो चुके हैं।आने वाले समय में आप खुद को कहाँ देखना चाहते हैं ? अंकित : ये लोग बहुत ही टैलेंटेड हैं और मैं अपने आपको इनके सामने कहीं नहीं पाता हूँ l लेकिन निश्चित तौर पर ये लोग प्रेरणा का काम करते है। इन लोगो के काम देखकर हमेशा कुछ नया और अच्छा काम करने की प्रेरणा मिलती हैं। जहाँ तक बॉलीवुड में नाम कमाने की बात हैं तो वो सब आपकी मेहनत और प्रतिभा के साथ साथ किस्मत पर भी निर्भर करता हैं।सिर्फ बॉलीवुड में ही काम करना मकसद नहीं हैं। जहाँ पर भी अच्छा काम सीखने और करने को मिले मैं काम करता रहूँगा चाहे वो कोई सा भी सिनेमा हो।