यह बात डॉ. कल्ला ने शनिवार को बीकानेर में अपने निवास पर, रेल बाईपास निर्माण की मांग के संबंध में आए शिष्टमंडल को कही। डॉ. कल्ला ने कहा कि रेल बाईपास बनाने के लिए वर्षों से वे प्रयासरत हैं और शीघ्र ही इस पर निर्णय करवा कर आमजन को राहत पहुंचाई जाएगी। उन्होंने कहा कि बहुत जल्द ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, केन्द्रीय रेल मंत्री, बीकानेर के सांसद व केंद्रीय राज्य मंत्री अर्जुनराम मेघवाल और वे स्वयं इस विषय पर बैठक करेंगे जिससे रेल बाईपास पर कोई ठोस नीतिगत निर्णय लिया जा सके।
डॉ. कल्ला ने कहा कि इसके साथ ही 25 से 29 फरवरी के बीच मुख्यमंत्री के साथ बीकानेर के लोगों की एक बैठक आयोजित की जाएगी, इस शिष्टमंडल में पूर्व विधायक व वरिष्ठ अधिवक्ता आर के दासगुप्ता, अध्यक्ष व्यापार एसोसिएशन नरपत सेठिया, उमेश मेंहदीरत्ता सहित अन्य लोगों व विशेषज्ञों को आमंत्रित किया जाएगा। ताकि बीकानेर बाईपास निर्माण संबंधी पक्ष मुख्यमंत्री के सामने रखा जा सके और समस्या के समाधान के लिए आवश्यक कदम उठाकर रेल फाटकों की समस्या से बीकानेर की जनता को निजात दिलाई जा सके।
ऊर्जा मंत्री ने कहा कि वर्षों पूर्व भी रेल मंत्रालय को बाईपास बनाने के लिए 61 करोड़ 62 लाख रुपए दिए गए थे। उन्होंने बताया कि पिछले सप्ताह रेलवे महाप्रबंधक से मिलकर रेल बाईपास बनाने के लिए उन्हें बताया गया था तब महाप्रबंधक ने सैद्धांतिक रूप से इस पर सहमति व्यक्त करी थी कि बीकानेर में रेल फाटकों की समस्या का एकमात्र समाधान रेल बाईपास ही है।
डॉ. कल्ला ने कहा कि आने वाले कुछ वर्षों में रेलवे द्वारा पूरे देश में रेल यातायात विद्युत आधारित होगा और रेलवे सभी स्थानों पर डबल लाइन भी डालेगा। ऎसे में बीकानेर के कोटगेट सहित अन्य स्थानों पर न तो विद्युत लाइन से चलने वाली रेल निकल पाएगी और ना ही डबल लाइन बन सकेगी, ऎसे में रेल मंत्रालय को बाईपास बनाना अनिवार्य होगा। अगर अभी रेल मंत्रालय राज्य सरकार और स्थानीय जिला प्रशासन के सहयोग से बाईपास का निर्माण कार्य करता है तो यह कार्य तेजी से और बेहतर ढंग से पूर्ण हो सकेगा।
डॉ. कल्ला ने कहा कि रेल मंत्रालय अपने वरिष्ठ अभियंताओं को भेजकर अगर बाईपास बनाने की वर्तमान स्थिति को देखे तो यह बहुत स्पष्ट हो जाएगा कि बाईपास के लिए जो संपूर्ण कार्य होना है उसमें से 50 प्रतिशत कार्य तो वर्तमान में हो चुका है, ऎसे में अब शेष 50 प्रतिशत कार्य करवा कर रेल बाईपास का निर्माण शीघ्र पूरा हो सकता है। उन्होंने बताया कि पूर्व में जब एलिवेटेड रोड बनाने की बात हुई थी तो इस रोड को नेशनल हाईवे अथॉरिटी के व अन्य अभियंताओं का यह कहना था कि यहां तकनीकी रूप से एलिवेटेड रोड नहीं बन सकती है, साथ ही एलिवेटेड रोड से स्थानीय नागरिकों को भी परेशानी होगी।