अंधता का शिकार युवक अस्पताल में गया था अंधता का सर्टिफिकेट लेने—लेकिन हो गया ये बडा चमत्कार
अंधता का शिकार युवक अस्पताल में गया था अंधता का सर्टिफिकेट लेने—लेकिन हो गया ये बडा चमत्कार
अंधता का शिकार युवक अस्पताल में गया था अंधता का सर्टिफिकेट लेने—लेकिन हो गया ये बडा चमत्कार
अंधता का शिकार युवक अस्पताल में गया था अंधता का सर्टिफिकेट लेने—लेकिन हो गया ये बडा चमत्कार
जयपुर।
जयपुर के फुलेरा में एक मंदिर में पूजा पाठ करने वाले और 12 साल की उम्र से अंधता का शिकार हुए पवन ने सपने में भी नहीं सोचा था कि एक दिन वह अपनी ही आंखों से दुनिया को देख सकेगा। क्योंकि आंखों की तीन गंभीर बीमारियों के कारण धीरे धीरे उसकी दोनों आंखों की रोशनी चली गई। आंखों का देश के कई अस्पतालों में चैकअप कराने के बाद जब कहीं सफलता नहीं मिली तो वह एक दिन एसएमएस अस्पताल के नेत्र रोग विभाग में अंधता का सर्टिफिकेट लेने पहुंच गया। लेकिन एसएमएस अस्पताल के नेत्र रोग विभाग के चिकित्सकों ने चमत्कार ही कर दिया। अस्पताल के नेत्र रोग विशेषज्ञों ने उसकी आंखों की जांच की तो उन्हें उम्मीद की किरण नजर आई और फिर तय कर लिया कि अब पवन अपनी ही आंखों से देखेगा।
पवन का इलाज करने वाले एसएमएस अस्पताल के नेत्र रोग विभाग के ग्लूकोमा स्पेशलिस्ट डॉ किशोर कुमार, कॉर्निया स्पेशलिस्ट डॉ धर्मवीर सिंह और रेटिना स्पेशलिस्ट डॉ नगेन्द्र सिंह ने पवन की आंखों का इलाज करना शुरू किया।
पवन का इलाज करने वाले डॉ धर्मवीर सिंह ने बताया कि तमाम जांचों के बाद 2015 में पवन का इलाज शुरू किया गया। डॉ धर्मवीर ने बताया कि एक के बाद एक पवन की आंखों के छह आॅपरेशन किए गए। आॅपरेशन के बाद उम्मीद की किरणें नजर आने लगी तो सभी की खुशी का ठिकाना नहीं रहा।
इलाज अत्याधुनिक डीएलएलके तकनीक से
डॉ धर्मवीर सिंह ले बताया कि पवन का इलाज डीएएलके तकनीक यानि डीप एंटिरियर लेमेनर केरेटोप्लास्टी तकनीक से किया गाय। इसमें कॉर्निया का आधा हिस्सा लेकर पहले एक आंख में लगाया। फिर छह महीने बाद कॉर्निया मिलने पर आधा हिस्सा दूसरी आंख में लगाया। फिर डॉ नगेन्द्र सिंह ने रेटिनल डिटेचमेंट का उपचार किया और फिर डॉ किशोर कुमार ने ग्लूकोमा का इलाज किया। ऐसे पवन की दोनों आंखों के छह आॅपरेशन किए गए।
आंखों में थी तीन गंभीर बीमारियां
डॉ धर्मवीर ने बताया कि पवन आंखों की तीन बीमारियों से पीडित था। उसके बाइलेटरल केरोलोग्लोबस,बाइलेटरल रेटीनल डिटेचमें और बाइलेटरल ग्लूकोमा जैसी गंभीर बीमारी से पीडित था। तीनों ही बीमारियों का सफलता पूर्वक इलाज किया गया।