सरकार का झूठ पर झूठ कैग की रिपोर्ट में बताया गया कि राजस्थान में मेट्रो की आवश्यकता पर जून 2006 में सरकार ने एमओयूडी के अफसरों से चर्चा की थी। इसमें डीएमआरसी के तत्कालीन प्रबंध निदेशक श्रयुत श्रीधरन भी मौजूद थे। इस बैठक में यह ध्यान दिलाया गया था कि अनुमानित यात्रीभार के चलते जयपुर में 2025 तक मेट्रो की आवश्यकता नहीं है। जबकि परियोजना के अनुमोदन के लिए अगस्त 2009 में राज्य कैबिनेट नोट में यह बताया गया कि श्रीयुत श्रीधरन ने जयपुर के लिए मेट्रो को उपयुक्त बताते हुए डीएमआरसी ने डीपीआर की तैयारी के लिए सहमति दे दी है। भारत सरकार ने अप्रेल 2010 में इंगित किया था कि जिन शहरों की यातायात का 50 से 60 फीसदी हिस्सा सार्वजनिक परिवहन का हो, वही मेट्रो योजना लागू की जाए। जयपुर में सार्वजनिक परिवहन का हिस्सा 19 फीसदी ही था। राजस्थान सरकार ने इसमें भी खेल किया और अप्रेल 2010 में मेट्रो की आवश्यकता को उचित ठहराते हुए केन्द्र सरकार को भेजी डीपीआर में यातायात अनुमान उचित बता दिया।