गिरोह के लोगों दूध चोरी के लिए टैंकर की सील तोडऩे और उससे पंप के जरिए 5 से 10 हजार लीटर दूध निकालने के बाद हूबहू दूसरी सील लगाने में 20 से 30 मिनट का समय लगाते थे। चोरी का दूध ड्रम और अन्य छोटे टैंकरों में भरकर सप्लाई करते थे।
टैंकरों पर निगरानी रखने के लिए जीपीएस सिस्टम लगा रखा है। टैंकर चालक गिरोह के लोगों के साथ मिलकर जीपीएस सिस्टम को तोड़ देते हैं। लेकिन जीपीएस से टैंकरों पर निगरानी रखने वाले लोग भी संदेह के घेरे में हैं। टैंकर चालक को 20 से 40 रुपए लीटर तक मिलते थे।
हाईवे पर बंद पड़े होटल-ढाबों के पीछे बदमाश ठिकाने बनाते हैं। दूध निकालने और दूसरे वाहन में भरकर ले जाने तक की अवधि के दौरान इनके साथी हाइवे पर पुलिस की गतिविधियों पर मोटरसाइकिल द्वारा निगरानी रखते थे। पुलिस की गाड़ी हआते ही सावधान कर देते थे।