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जयपुर

न्यूनतम अंकुश बढ़ाता है अनुशासन: स्मिता चक्रवर्ती

देश की जेलों को खुली जेलों में बदलने की वकालत करने वाली कोलकाता निवासी शोधकर्ता स्मिता चक्रवर्ती का मानना है कि ऊंची दीवारें, कंटीले तार की बाड़ या हथियारबंद पहरेदार नहीं होने के बाद भी मौलिक मानवीय सुविधाओं से युक्त खुली जेलों में बंद कैदी वहां से फरार नहीं होते। इसका कारण बताते हुए वे कहती हैं कि न्यूनतम अंकुश अक्सर अनुशासन को बढ़ावा देता है। कैदियों में आत्मसम्मान की भावना उत्पन्न करता है।

जयपुरDec 07, 2022 / 09:39 pm

Anand Mani Tripathi

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देश की जेलों को खुली जेलों में बदलने की वकालत करने वाली कोलकाता निवासी शोधकर्ता स्मिता चक्रवर्ती का मानना है कि ऊंची दीवारें, कंटीले तार की बाड़ या हथियारबंद पहरेदार नहीं होने के बाद भी मौलिक मानवीय सुविधाओं से युक्त खुली जेलों में बंद कैदी वहां से फरार नहीं होते। इसका कारण बताते हुए वे कहती हैं कि न्यूनतम अंकुश अक्सर अनुशासन को बढ़ावा देता है। कैदियों में आत्मसम्मान की भावना उत्पन्न करता है।

लगभग एक दशक से भी अधिक समय से देश की संस्कृति को बदलने का काम कर रहीं प्रेसिडेंसी विश्वविद्यालय की पूर्व छात्रा स्मिता की संस्था प्रिजऩ ऐड एक्शन रिसर्चज् (पीएएआर) देश भर की जेलों पर शोध कर रही है। उनके शोध पर उच्चतम न्यायालय भी गौर कर चुका है। वर्ष 2017 में जयपुर की सांगानेर खुली जेल के फायदों पर उन्होंने रिपोर्ट तैयार की थी। जिसके अध्ययन के बाद सुप्रीम कोर्ट ने सांगानेर खुली जेल का मॉडल देश भर में खोलने की व्यवहार्यता का पता लगाने को कहा है।

देश भर में 150 खुली जेलें, बंगाल में चार
स्मिता के मुताबिक देश भर में इस समय 150 खुली जेलें हैं, जबकि बंगाल में खुली जेलों की संख्या चार है। मुर्शिदाबाद, रायगंज, मेदिनीपुर और दुर्गापुर में चार खुली जेलें हैं। मुर्शिदाबाद की लालगोला जेल सबसे पुरानी है और यह कैदियों को अपने परिवार के साथ समय बिताने की अनुमति देती है।

बिहार में तो बैठने की भी जगह नहीं
स्मिता की संस्था की ओर से बिहार की जेलों का भी शोध किया गया। जिसमें उन्होंने पाया कि बिहार की कई जेलों में कैदियों के बैठने की जगह भी नहीं है। बकौल स्मिता वहां के कैदियों से बात करने पर उन्हें अहसास हुआ कि बंद जेलों में गिने-चुने लोग ही आदतन अपराधी होते हैं। ऐसे कई लोग हैं जिन्होंने गलती से अपराध किया है। कुछ कैदी ऐसे भी थे जो कानूनी सहायता का खर्च वहन करने में सक्षम नहीं होने के कारण वर्षों से जेल में बंद हैं।

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