लगभग एक दशक से भी अधिक समय से देश की संस्कृति को बदलने का काम कर रहीं प्रेसिडेंसी विश्वविद्यालय की पूर्व छात्रा स्मिता की संस्था प्रिजऩ ऐड एक्शन रिसर्चज् (पीएएआर) देश भर की जेलों पर शोध कर रही है। उनके शोध पर उच्चतम न्यायालय भी गौर कर चुका है। वर्ष 2017 में जयपुर की सांगानेर खुली जेल के फायदों पर उन्होंने रिपोर्ट तैयार की थी। जिसके अध्ययन के बाद सुप्रीम कोर्ट ने सांगानेर खुली जेल का मॉडल देश भर में खोलने की व्यवहार्यता का पता लगाने को कहा है।
देश भर में 150 खुली जेलें, बंगाल में चार
स्मिता के मुताबिक देश भर में इस समय 150 खुली जेलें हैं, जबकि बंगाल में खुली जेलों की संख्या चार है। मुर्शिदाबाद, रायगंज, मेदिनीपुर और दुर्गापुर में चार खुली जेलें हैं। मुर्शिदाबाद की लालगोला जेल सबसे पुरानी है और यह कैदियों को अपने परिवार के साथ समय बिताने की अनुमति देती है।
बिहार में तो बैठने की भी जगह नहीं
स्मिता की संस्था की ओर से बिहार की जेलों का भी शोध किया गया। जिसमें उन्होंने पाया कि बिहार की कई जेलों में कैदियों के बैठने की जगह भी नहीं है। बकौल स्मिता वहां के कैदियों से बात करने पर उन्हें अहसास हुआ कि बंद जेलों में गिने-चुने लोग ही आदतन अपराधी होते हैं। ऐसे कई लोग हैं जिन्होंने गलती से अपराध किया है। कुछ कैदी ऐसे भी थे जो कानूनी सहायता का खर्च वहन करने में सक्षम नहीं होने के कारण वर्षों से जेल में बंद हैं।