कुछ के बच्चे हो चुके हैं तो कुछ के होने वाले हैं। इनमें से अधिकांश इन्हें अपनाना चाहती हैं। हालांकि जीवन के उतार-चढाव और परिवार की जिम्मेदारी की उन्हें ज्यादा समझ नहीं है, लेकिन फिर भी वे रोज इनका सामना कर रही है, सीख रही हैं। यहां सब एक परिवार की तरह रह रही हैं और एक-दूसरे का सहारा बनी हैं।
केस-1- डेढ माह पहले दिया लड़की को जन्म
छह महीने पहले सीकर जिले से आई एक किशोरी ने डेढ माह पहले ही लड़की को जन्म दिया है। जब वह बाल कल्याण समिति में आई तब पांच माह से गर्भवती थी। अब किशोरी नवजात का गृह के अंदर ही पालन-पोषण कर रही है। गृह के भीतर दूसरी किशोरियां बच्ची की मौसी बन उसे परिवार का प्यार दे रही हैं।
छह महीने पहले सीकर जिले से आई एक किशोरी ने डेढ माह पहले ही लड़की को जन्म दिया है। जब वह बाल कल्याण समिति में आई तब पांच माह से गर्भवती थी। अब किशोरी नवजात का गृह के अंदर ही पालन-पोषण कर रही है। गृह के भीतर दूसरी किशोरियां बच्ची की मौसी बन उसे परिवार का प्यार दे रही हैं।
केस-2- किशोरी के गर्भ में पल रहा शिशु
इसी महीने समिति में आई एक 17 वर्षीय किशोरी के गर्भ में भी शिशु पल रहा है। वह झुंझनूं जिले से आई है। सूत्रों के अनुसार उसका गर्भ अभी पहली तिमाही में ही है। इसके अलावा एक अन्य किशोरी भी बालिका गृह में रह रही है, जिसे छह माह का गर्भ है। अब यह किशोरियां यहां पर ही रहना चाहती है।
इसी महीने समिति में आई एक 17 वर्षीय किशोरी के गर्भ में भी शिशु पल रहा है। वह झुंझनूं जिले से आई है। सूत्रों के अनुसार उसका गर्भ अभी पहली तिमाही में ही है। इसके अलावा एक अन्य किशोरी भी बालिका गृह में रह रही है, जिसे छह माह का गर्भ है। अब यह किशोरियां यहां पर ही रहना चाहती है।
बालिका गृह में ही बच्चों का लालन-पालन
बालिका गृह में ही इन बच्चों का लालन-पालन हो रहा है। जानकारी के मुताबिक हर महीने औसतन 20 किशोरियां प्रदेश-देश के कई राज्यों से भागकर प्रेमी संग राजधानी जयपुर पहुंच रही हैं। कुछ मामलों में पुलिस ने किशोरियों को रेलवे स्टेशन या अन्य स्थानों से प्रेमी संग पकड़ा। नाबालिग होने की अवस्था में लड़की को बाल कल्याण समिति व लड़के को किशोर न्यायालय भेजा गया है।
बालिका गृह में ही इन बच्चों का लालन-पालन हो रहा है। जानकारी के मुताबिक हर महीने औसतन 20 किशोरियां प्रदेश-देश के कई राज्यों से भागकर प्रेमी संग राजधानी जयपुर पहुंच रही हैं। कुछ मामलों में पुलिस ने किशोरियों को रेलवे स्टेशन या अन्य स्थानों से प्रेमी संग पकड़ा। नाबालिग होने की अवस्था में लड़की को बाल कल्याण समिति व लड़के को किशोर न्यायालय भेजा गया है।
यहां मेडिकल जांच में हर दो माह में एक से दो किशोरी गर्भवती मिल रही हैं। ऐसे में न तो माता-पिता उसे अपना रहे हैं और न ही लड़कियां परिवार में लौटना चाह रही हैं। मामला कोर्ट में होने के कारण इन्हें बालिका गृह में रखा गया है। वहीं, ये बच्चों को जन्म भी दे रही हैं। इस दौरान यहां किशोरियों की चिकित्सकीय जरूरत व खान-पान का भी ध्यान रखा जाता है।
एक माह में औसतन 20 मामले
यहां जयपुर, प्रदेश सहित कई राज्यों से भी किशोरियां आती हैं। एक महीने में औसतन 20 मामले समिति में आते हैं। मेडिकल जांच में कई किशोरी गर्भवती निकलती हैं। जो माता-पिता के साथ नहीं लौटती, उनका प्रसव यहां कराया जाता है।
– मीना यादव, सदस्य, बाल कल्याण समिति, जयपुर
यहां जयपुर, प्रदेश सहित कई राज्यों से भी किशोरियां आती हैं। एक महीने में औसतन 20 मामले समिति में आते हैं। मेडिकल जांच में कई किशोरी गर्भवती निकलती हैं। जो माता-पिता के साथ नहीं लौटती, उनका प्रसव यहां कराया जाता है।
– मीना यादव, सदस्य, बाल कल्याण समिति, जयपुर