लोढा ने बताया कि लखमाराम देवासी अभी जमानत पर है और गेमाराम गरासिया अभी भी सिरोही कारागृह में बंद है। लोढा ने मुख्य सचिव से कहा कि अपराध में बिना लिप्तता के वर्षो जेल में बंद करने से दोनों नागरिकों के मूलभूत अधिकारों का गम्भीर हनन हुआ है। उन्होंने कहा कि गेमाराम गरासिया हत्या के दिन बाली जेल में बंद था लेकिन उसे महीनों बाद एसओजी ने इसमें फंसाया गया। इससे पहले निर्दोष गिरफ्तार किए गए लखमाराम देवासी के मामले में तीन साल बाद 2021 में पुलिस ने जिला न्यायालय सिरोही में 169 की अर्जी प्रस्तुत कर कहां कि लखमाराम देवासी को गलत गिरफ्तार किया गया है। लोढा ने उन्हें बताया कि लखमाराम देवासी की गलत गिरफ्तारी के खिलाफ 2018 में भी उन्होंने देवासी समाज के लोगों के साथ भाजपा शासनकाल के दौरान बरलूट थाने का घेराव किया था। उन्होंने कहां कि गेमाराम उर्फ गेमला के न्यायिक अभिरक्षा में होने के बावजूद हत्या में फंसाना पुलिस की आपराधिक मानसिकता को प्रदर्शित करता है। पुलिस ने जिस गैर कानूनी तरीके से इसमें काम किया है।उससे समाज में गहरा अविश्वास उत्पन्न हुआ है और यह प्रकट हुआ है कि पुलिस के लिए लोगो के अधिकार व संविधान कोई महत्व नही रखते। इस वर्ष राजस्थान विधानसभा के कार्य संचालन नियम 131 के तहत उनके द्वारा यह मामला उठाये जाने पर भी सरकार ने गलती स्वीकार की थी और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही के लिए पुलिस उप महानिरीक्षक जैसे अधिकारी से जांच कराने की घोषणा की थी। क्योकि उक्त घटना दिवस पर स्वयं पुलिस अधीक्षक मौके पर आए थे और उनकी लिप्तता से ही यह अपराधिक कृत्य निर्दोष नागरिक के साथ हुआ।
लोढा ने मुख्य सचिव से कहां कि नागरिक अधिकारों के हनन के अनेक मामलो में सर्वोच्च न्यायालय ने पीडितों को आर्थिक मुआवजा दिलाया है। पूर्व इसरो वैज्ञानिक नामबी नारायणन को 50 लाख रूपए मुआवजा दिया गया। पुलिस की कार्यवाही संविधान के अनुच्छेद 21 व 22 का घोर उल्लंघन है। सरकार का यह नैतिक दायित्व बनता है कि दो नौजवानों के चार साल की जिदंगी तबाह करने की वह जिम्मेदारी ले। यद्यपि मुआवजे का सीधा अभी तक कोई प्रावधान नही है लेकिन राजस्थान सरकार अपने नागरिकों के हितों के प्रति सजग है अत: राज्य सरकार इस संबंध में मुआवजा जारी करे।
लोढा ने मुख्य सचिव को पुलिस उप महानिरीक्षक की ओर से की गई जांच की प्रति देते हुए उनसे कहां कि उनकी रिपोर्ट में सारे तथ्यों का खुलासा हो चुका है। गृह विभाग ने भी पुलिस मुख्यालय से अब तक कार्यवाही नही करने पर जवाब तलब किया है। जांच रिपोर्ट के अनुसार स्पष्ट है कि गेमाराम की गिरफ्तारी पूरी तरह गलत और बरामदगी एक धोखा है। इसी तरह लखमाराम की बिना साक्ष्य के गिरफ्तारी करना। सहायक निदेशक अभियोजन द्वारा साक्ष्य के संबंध में ठोस राय प्रदान नही करना एवं वास्तविक तथ्य सामने आने के बाद भी विधि सम्मत कार्यवाही पुलिस के द्वारा नही किया जाना प्रमाणित है।