आखिर कब करेंगे ‘अमृत’ की कद्र
मानूसन सीजन में देश में सामान्य से करीब 2 फीसदी अधिक बारिश
वर्षा जल संचयन और पुनर्भरण में सरकार व प्रशासन की लापरवाही के कारण करोड़ों क्यूसेक पानी हो रहा बर्बाद
आखिर कब करेंगे ‘अमृत’ की कद्र
आर्यन शर्मा/जयपुर. देश में इस बार मानसून (Monsoon) मेहरबान है। खुशियों के ‘सागर’ तो छलक रहे हैं लेकिन सही योजनाओं के अभाव में ‘अमृत’ बर्बाद हो रहा है। ज्यादातर राज्यों में सामान्य या उससे ज्यादा बारिश हो रही है। कई बांध और जलाशय काफी समय बाद लबालब हुए हैं। कई राज्यों में तो बाढ़ जैसे हालात हो गए हैं। विडम्बना देखिए, जल संचयन (water harvesting) के अभाव में करोड़ों क्यूसेक (cusec पानी समुद्र में जा रहा है। नीति आयोग की कंपोजिट वॉटर मैनेजमेंट इंडेक्स रिपोर्ट में खुलासा किया गया था कि तकरीबन 60 करोड़ लोग पानी की कमी से जूझ रहे हैं। यह जल संकट आने वाले वर्षों में और गंभीर होने वाला है। ऐसे में सरकार व प्रशासन की लापरवाही और लोगों में जागरूकता की कमी का ही नतीजा है कि इस मानसून में देशभर में अब तक सामान्य से दो फीसदी अधिक बारिश होने के बावजूद ज्यादा दिनों तक इस जल का लाभ नहीं मिल पाएगा।
जहां बड़े बांधों या जलाशयों में ज्यादा पानी आने पर उनके गेट खोलने पड़ रहे हैं, वहीं बड़ी संख्या में ऐसे बांध, तालाब भी हैं जहां एक बूंद पानी नहीं आया। स्थिति यह है कि वर्षा जल संचयन और पुनर्भरण के लिए कोई सुनियोजित नीति व व्यवस्था ही नहीं है। नए बांधों और जलाशयों के निर्माण की प्लानिंग कागजों में दबी पड़ी है तो कम भराव क्षमता वाले पुराने जलाशयों (Reservoirs) में पानी पहुंचाने की न तो व्यवस्था है और न ही उनकी मरम्मत, नवीनीकरण व साफ-सफाई पर ध्यान दिया जाता है। सरकारी भवनों में रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनवाने में भी खानापूर्ति हो रही है। जनता खुद जागरूक नहीं है। वह केवल सरकार और प्रशासन के भरोसे है, जबकि लोग अपने घरों में वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनवाकर वर्षा जल सहेजने में योगदान दे सकते हैं।
नमो 2.0 सरकार में नया जल शक्ति मंत्रालय (Jal shakti ministry) बनाया गया है, जिससे कुछ अच्छे नतीजों की उम्मीद है। सरकार ने जल संचयन और संरक्षण को लेकर एक जुलाई से जल शक्ति अभियान (Jal shakti abhiyan) भी शुरू किया है। इसके तहत भूजल संकट वाले 256 जिलों से कुल 1592 ब्लॉकों का चयन किया गया। इसमें 312 गंभीर जल संकट वाले ब्लॉक हैं, 1186 अति-दोहित तथा 94 कम भूजल उपलब्धता वाले ब्लॉक हैं। इन ब्लॉकों में भूजल स्थितियों सहित जल की उपलब्धता में सुधार के प्रयास किए जा रहे हैं। लेकिन ये योजनाएं गंभीरता से चलें तो ही लाभ है। गंगा स्वच्छता अभियान के परिणाम सबके सामने हैं। ऐसे में क्या राष्ट्रीय जल नीति को प्रभावी बनाने के लिए नए सिरे से विचार किए जाने की जरूरत नहीं है?
बहरहाल, अगर जल संकट से निपटना है तो सरकार, प्रशासन और लोगों को दृढ़ इच्छाशक्ति दिखानी ही होगी। जिस भी बांध, जलाशय या दूसरे जल निकाय के कैचमेंट एरिया और बहाव क्षेत्र में अतिक्रमण हो रखा है, उसे फौरन हटवाना चाहिए। जलाशयों में मिट्टी और कचरा जमा होने की स्थिति में उसकी भराव क्षमता कम हो जाती है, ऐसे जलाशयों व जल निकायों को गर्मी के दिनों में कम पानी होने या सूखने पर साफ किया जाना चाहिए। वर्षा जल संचयन को जनआंदोलन बनाने की जरूरत है। तालाब, बावड़ी, नाड़ी के अलावा वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम में बारिश के पानी को जमा कर गिरते भूजल का स्तर उठाया जा सकता है।
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