मादा मच्छर ही काटती हैं लोगों को
डॉ. जगदीश ने कहा कि मच्छरों के करीब 3,500 से अधिक प्रकार हैं। इनमें से कुछ ही लोगों को काटते हैं। खास बात यह है कि केवल मादा मच्छर ही लोगों को काटती हैं, क्योंकि उन्हें अपने अंडों के लिए प्रोटीन के स्रोत के रूप में रक्त की आवश्यकता होती है। एनोफिलीज प्रजाति के मच्छर मलेरिया, पीले बुखार और डेंगू का कारण बनने वाले विषाणुओं समेत कई जानलेवा बीमारी के लिए जिम्मेदार हैं।
व्यायाम के बाद नहाए नहीं तो काटेंगे मच्छर
वर्ष 1968 में एक अध्ययन में पाया गया कि पीले बुखार के लिए जिम्मेदार मच्छर लैक्टिक एसिड से अत्यधिक आकर्षित होते हैं। इसे मच्छरों के लिए एक ‘हस्ताक्षर मानव गंधक’ कहा गया है। व्यायाम करते समय लैक्टिक एसिड अधिक बनता है, इसलिए व्यायाम करने के बाद साबुन से अच्छी तरह स्नान कर लेना चाहिए। तुलसी, लैवेंडर, लेमन थाइम और गेंदा फूल जैसे सुगंधित पौधों की खुशबू से मच्छर दूर रहते हैं।
‘ए’ ब्लड ग्रुप वालों को कम काटते हैं मच्छर
एक से अधिक अध्ययनों से पता चला है कि मच्छरों को आकर्षित करने या दूर रखने में व्यक्तियों का रक्त समूह भी जिम्मेदार है। ब्लड ग्रुप ‘ए’ वाले लोगों के लिए यह अच्छी खबर है। मच्छरों को यह ग्रुप कम आकर्षक लगता है, लेकिन ब्लड ग्रुप ‘ओ’ के लिए यह इतना अच्छा नहीं है। इस ब्लड ग्रुप वाले लोगों से मच्छर ‘ए’ ग्रुप वाले की तुलना में दोगुना आकर्षित होते हैं, लेकिन ‘ओ’ ग्रुप वाले व्यक्तियों के लिए राहत की बात है कि वे गंभीर मलेरिया की चपेट में नहीं आते हैं।
गंध, रंग और त्वचा का तापमान भी हैं कारक
अध्ययनों में शरीर की गंध, शरीर का रंग, त्वचा का तापमान और बनावट, त्वचा पर रहने वाले रोगाणुओं, गर्भावस्था की स्थिति, मनुष्यों द्वारा उत्सर्जित कार्बन डाइऑक्साइड, शराब और आहार के प्रकार पर चर्चा की गई है। अध्ययनों से पता चलता है कि गर्भवती महिलाएं, उच्च शरीर के तापमान और पसीने वाले लोग, विविध त्वचा सूक्ष्म जीवों की उपस्थिति और गहरे रंग की त्वचा वाले लोग मच्छर के लिए अधिक संवेदनशील हो सकते हैं।