2017 में शुरू हुआ था मॉस्किटो फ्री सिटी प्रोजेक्ट
नगर निगम ने वर्ष 2017 में 2 व्हीकल माउंटेड (Vehicle Mounted) सहित एक दर्जन नई फोगिंग मशीनें खरीदी थीं। तत्कालीन महापौर अशोक लहोटी ने 1 सितम्बर 2017 को फोगिंग की शुरूआत की। साथ ही शहर में पूरे साल फोगिंग जारी रखने की घोषणा की थी। नगर निगम ने 1 सितम्बर 2017 से शहर के प्रत्येक वार्ड में दो पारियों में फोगिंग करने का अभियान छेड़ा था। तब 2 व्हीकल माउंटेड फोगिंग मशीन और 7 पोर्टेबल फोगिंग मशीनों से पूरे साल फोगिंग करने की योजना तैयार की गई। रोजाना सुबह 9 से दोपहर 12 बजे और शाम 4 बजे से शाम 7 बजे तक फोगिंग करने का प्लान बना था। इसका मकसद जयपुर को मॉस्किटो फ्री सिटी यानी मच्छर रहित शहर बनाना था। शहर के सभी इलाकों में फोगिंग का जिम्मा वार्ड के स्वास्थ्य निरीक्षक और पार्षद को सौंपा गया था। लेकिन नगर निगम का दावा सिर्फ 2 महीने ही चला और नवम्बर 2017 में ही फोगिंग बंद कर दी गई। इसके बाद नगर निगम अपने पुराने ढर्रे पर लौट आया। निगम प्रशासन ने साल 2018 और 2019 में मॉनसूनी सीजन के बाद ही रूटीन तौर पर फोगिंग करवा रहा है।
जानकारी के अनुसार नगर निगम को मॉनसूनी सीजन के बाद 1 सितम्बर 2019 से शहर में फोगिंग की शुरूआत करनी थी। लेकिन नगर निगम प्रशासन ने फोगिंग शुरू करने में एक पखवाड़े से ज्यादा की देरी कर दी। इसके कारण शहर में जमा हुए बरसाती पानी में मच्छर पैदा हो गए। निगम ने जब फोगिंग शुरू की तब भी पूरे शहर में फोगिंग करने की बजाय चुनिंदा जगहों पर ही मच्छर मार दवा का छिड़काव करवाया। नगर निगम का फोकस एसएमएस अस्पताल, जेके लोन अस्पताल समेत बड़े अस्पतालों और चारदीवारी के कुछ इलाकों पर रहा। निगम प्रशासन ने मॉनसूनी सीजन खत्म होने के बाद भी पूरे शहर में फोगिंग करवाने की जहमत नहीं उठाई। जयपुर में डेंगू मरीजों की भरमार सामने आने के बाद से नगर निगम ने फोगिंग शुरू की है। निगम प्रशासन अब भी फोगिंग के नाम पर खानापूर्ति कर रहा है। शहर के ज्यादातर इलाके ऐसे हैं, जहां पर निगम ने बीते कई सालों में एक भी बार फोगिंग नहीं की है। जबकि कागजों में निगम की फोगिंग सरपट दौड़ रही है।
देवेन्द्र कुमार जैन, उपायुक्त स्वास्थ्य प्रथम, नगर निगम जयपुर