धार्मिक दृष्टि से भी है मिट्टी की मूर्ति का महत्व महंत कैलाश शर्मा ने बताया कि धार्मिक दृष्टि और पर्यावरण को प्रदूषण से बचाने के लिहाज से मिट्टी की प्रतिमा का महत्व है। उन्होंने बताया कि वर्तमान में प्लास्टर ऑफ पेरिस और केमिकल रंगो का प्रचलन है। इसकी मूर्तियां बनाई जाती है। इन मूर्ति का विसर्जन ही पानी में नहीं होता है। इसलिए मिट्टी से बने विघ्नहर्ता ( eco friendly ganesh ji online ) को ही घर में विराजित करना चाहिए। मिट्टी की मूर्ति पानी में भी यह आसानी से घुल जाती है। इसके साथ ही मंदिर के खंभों पर सोने का काम कारीगारों द्वारा किया जा रहा है।
रविवार को सिंजारा महोत्सव का आयोजन होगा। गजानन महाराज को मेहंदी अर्पित की जाएगी।मंदिर महंत कैलाश शर्मा ने बताया कि सिंजारे पर मेहंदी पूजन होगा। इस दिन शाम 7 बजे (
ganesh chaturthi 2019 puja time ) गजानन महाराज का विशेष शृंगार में दर्शन देंगे, शृंगार में नौलड़ी का नोलखा हार जैसा भाव दर्शाया जाएगा, जिसमें मोती, सोना, पन्ना, माणक आदि के भाव नजर आएंगे।
गजानन महाराज स्वर्ण मुकुट धारण करेंगे और चांदी के सिंहासन पर विराजमान होंगे। गणेशजी को मेहंदी धारण करवाकर भक्तों को करीब 3100 किलो मेहंदी प्रसादी में बांटी जाएगी। इसके लिए मंदिर में पांच स्थानों पर मेहंदी प्रसाद वितरण की व्यवस्था की जाएगी। मेहंदी प्रसादी के लिए महिलाओं व कन्याओं के लिए अलग से व्यवस्था रहेगी। मेहंदी वितरण रात 9 बजे तक होगा। इस दिन शयन आरती रात 10 बजे होगी।
2 सितंबर को गणेश चतुर्थी पर मंगला झांकी तडक़े 3 बजकर 30 मिनट पर होगी। इस दिन सुबह 11.25 बजे विशेष पूजन होगा। शयन आरती रात 11 बजकर 45 मिनट पर होगी। देापहर 1.30 बजे से 2.30 बजे तक भगवान के पट भोग के लिए मंगल रहेंगे। गजानन के दर्शनों के लिए आने वाले महिला व पुरुषों के लिए अलग-अलग कतारों की व्यवस्था रहेगी।
नि:शक्तजन व बुजुर्गों के लिए रिक्शे लगाए जाएंगे। वहीं चांदपोल गेट के बाहर स्थित परकोटे वाले गणेशजी के आज से तीन दिवसीय गणेश चतुर्थी महोत्सव का आगाज हुआ। गजानन महाराज के पंचामृत अभिषेक के बाद दुर्वा अर्पित की गई।