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जयपुर

कॉमेडी और इमोशंस की ‘शादी’, पर दिल से नहीं निकलता ‘जुग जुग जियो’

फिल्म समीक्षा: जुग जुग जियोडायरेक्शन: राज मेहतास्टोरी: अनुराग सिंहस्क्रीनप्ले-डायलॉग्स: ऋषभ शर्मास्टार कास्ट: नीतू कपूर, अनिल कपूर, वरुण धवन, कियारा आडवाणी, मनीष पॉल, प्राजक्ता कोलीरन टाइम: 150 मिनट

जयपुरJun 25, 2022 / 01:01 am

Aryan Sharma

कॉमेडी और इमोशंस की 'शादी', पर दिल से नहीं निकलता 'जुग जुग जियो'
आर्यन शर्मा @ जयपुर. फिल्म ‘जुग जुग जियो’ में शादी और तलाक जैसे गंभीर व संवेदनशील विषय को हास्य की चाशनी में डुबोकर पेश किया गया है। इसमें कॉमेडी, ड्रामा और इमोशंस का ‘कॉकटेल’ है, लेकिन कुछ भी परफेक्ट नहीं है। फिल्म में एक परिवार की दो शादी तलाक के कगार पर हैं जबकि तीसरी होने वाली है, मगर ‘समझौते’ के माफिक। मूवी में पति-पत्नी के बीच मनमुटाव और टूटती शादी के साथ यह दिखाया है कि शादी में प्यार, अपेक्षा, सम्मान, आपसी समझ और विश्वास को बैलेंस करके चलना पड़ता है। फिल्म में कॉमेडी और इमोशंस का बैलेंस थोड़ा गड़बड़ है। यानी फिल्म शादी, तलाक और शादी में प्यार व समझौता जैसी बातें तो करती है, लेकिन ये उभर कर सामने नहीं आतीं। कई बातों में लॉजिक ही नहीं हैं और जहां हैं, वो बचकाने हैं यानी कतई हजम नहीं होते।
कहानी में पटियाला में रहने वाला कुकू (वरुण धवन) बचपन से नैना (कियारा आडवाणी) से प्यार करता है। थोड़ी मशक्कत के बाद उनकी शादी हो जाती है। शादी के पांच साल बाद दोनों कनाडा में सेटल हैं, मगर उनके रिश्ते में इतनी दरार आ चुकी है कि अब वे तलाक लेना चाहते हैं। कुकू की बहन गिन्नी (प्राजक्ता कोली) की शादी के लिए दोनों इंडिया आते हैं और तय करते हैं कि शादी होने तक परिवार को अपने फैसले के बारे में नहीं बताएंगे। तभी, कुकू को पता चलता है कि उसके पिता भीम (अनिल कपूर) खुद तलाक लेने जा रहे हैं। उनका चक्कर कुकू की स्कूल टीचर मीरा (टिस्का चोपड़ा) से चल रहा है जबकि कुकू की मां गीता (नीतू कपूर) को इसकी भनक तक नहीं है…।

अदाकारी ‘झक्कास’
कहानी सिंपल है। पटकथा एंगेजिंग तो है, पर बीच-बीच में हिचकोले खाती है। इससे जायका खराब होने लगता है। पहले हाफ में सपाट तरीके से आगे बढ़ती स्टोरी इंटरवल के बाद सही ट्रैक पकड़ती है और भावनात्मक भी हो जाती है। ‘गुड न्यूज’ बनाने वाले राज मेहता का निर्देशन सधा हुआ है, पर कहानी को उतने बेहतर ढंग से परदे पर नहीं दिखा पाए। हास्य और गंभीरता का तालमेल बनाए रखने में उनसे चूक हो गई। गीत-संगीत औसत दर्जे का है। एडिटिंग लचर है, जिसका परिणाम फिल्म की लंबाई है, जो थोड़ी कतरी जानी चाहिए थी। सिनेमैटोग्राफी एवरेज है।
वरुण धवन की परफॉर्मेंस सराहनीय है। हालांकि कुछ असाधारण नहीं कर पाए। कियारा आडवाणी की अदाकारी में मूवी दर मूवी निखार आ रहा है। अनिल कपूर की एनर्जी और रोल को जीने का अंदाज ‘झक्कास’ है। नीतू कपूर की स्क्रीन प्रजेंस ‘सुकून’ देती है। मनीष पॉल की कॉमिक टाइमिंग अच्छी है। वह हंसने के कई मौके देते हैं। प्राजक्ता कोली अपनी भूमिका में जंचती हैं। कुल मिलाकर ‘जुग जुग जियो’ एक औसत फिल्म है, इसलिए पूरे विश्वास से यह कहने का मौका नहीं देती कि ‘जुग जुग जियो’।

रेटिंग: ★★½

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