मनमाने तरीके से टाइगर रिजर्व में करीब 35 करोड़ रुपए खर्च कर बनाई गई चारदीवारी, चेन लिंक फेंसिंग और एनक्लोजर को लेकर एनटीसीए ने गहरी आपत्ति जताई है। एनटीसीए ने साफ कहा है कि इस तरह के निर्माण बाघ समेत अन्य वन्य जीवों के स्वतंत्र विचरण में अवरोध पैदा करते हैं और नियमों के खिलाफ है। दो बाघिनों को शिफ्ट करने से पहले सड़क और रेल लाइन के समीप की दीवार को छोड़कर शेष सभी को हटाना होगा। इसके बाद एनटीसीए साइट का अवलोकन करेगा और बाघिनों को शिफ्ट करने के बारे में निर्णय करेगा।
–पानी में गया सरकारी धन
जानकारों ने बताया कि वन विभाग ने एनटीसीए की मंजूरी के बिना मुकुंदरा टाइगर रिजर्व में करीब 35 करोड़ रुपए से अधिक के काम करवा दिए। इसमें खास तौर पर करीब 82 वर्ग किलोमीटर की पक्की चारदीवारी और चेन लिंकिंग फेंसिंग और करीब 28 हैक्टेयर में एनक्लोजर शामिल है। अब बाघ शिफ्टिंग परियोजना को लागू करने के लिए वन विभाग को खुद के कराए करीब 80 फीसदी कामों को हटाना होगा। ऐसे में यह सरकारी धन का दुरुपयोग जैसा है।
जानकारों ने बताया कि वन विभाग ने एनटीसीए की मंजूरी के बिना मुकुंदरा टाइगर रिजर्व में करीब 35 करोड़ रुपए से अधिक के काम करवा दिए। इसमें खास तौर पर करीब 82 वर्ग किलोमीटर की पक्की चारदीवारी और चेन लिंकिंग फेंसिंग और करीब 28 हैक्टेयर में एनक्लोजर शामिल है। अब बाघ शिफ्टिंग परियोजना को लागू करने के लिए वन विभाग को खुद के कराए करीब 80 फीसदी कामों को हटाना होगा। ऐसे में यह सरकारी धन का दुरुपयोग जैसा है।
-एनटीसीए ने यह लिखा
पत्र में एनटीसीए की 25 जून को तकनीकी कमेटी की बैठक हुई थी। इसके मिनिट्स 24 जुलाई को जारी करने के साथ ही एनटीसीए के डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल निशांत वर्मा ने राज्य के चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन को पत्र लिखा। इसमें उन्होंने कहा कि रणथंभौर से मुकुंदरा के दक्षिणी हिस्से में दो बाघिनों को शिफ्ट करने की सैद्धांतिक मंजूरी एनटीसीए ने दे रखी है। इसके लिए वन विभाग को एनटीसीए का प्रोटोकॉल, स्टेंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर (एसओपी) और कोर्ट के आदेश (यदि कोई हो) को मानना पड़ेगा। इसके अलावा चेन लिंक फेंसिंग, दीवार और एनक्लोजर को हटाना होगा।
पत्र में एनटीसीए की 25 जून को तकनीकी कमेटी की बैठक हुई थी। इसके मिनिट्स 24 जुलाई को जारी करने के साथ ही एनटीसीए के डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल निशांत वर्मा ने राज्य के चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन को पत्र लिखा। इसमें उन्होंने कहा कि रणथंभौर से मुकुंदरा के दक्षिणी हिस्से में दो बाघिनों को शिफ्ट करने की सैद्धांतिक मंजूरी एनटीसीए ने दे रखी है। इसके लिए वन विभाग को एनटीसीए का प्रोटोकॉल, स्टेंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर (एसओपी) और कोर्ट के आदेश (यदि कोई हो) को मानना पड़ेगा। इसके अलावा चेन लिंक फेंसिंग, दीवार और एनक्लोजर को हटाना होगा।