महात्मा गांधी की सोच थी कि देश के हर कोने पंचायती राज व्यवस्था को पूरे अधिकार के साथ लागू किया जाए। हालांकि उनके इस सपने की शुरुआत उनकी मौत के बाद हुई। तो वहीं राजस्थान का नागौर इसका पहला गवाह बना। जहां सबसे पहले 2 अक्टूबर 1959 को पंचायती राज व्यवस्था लागू किया गया। वहीं गांधी जी का मानना था कि आजादी की शुरुआत नीचे से शुरु होनी चाहिए। क्योंकि तभी लोगों को उनका पूरा हक और उनकी सत्ता उनके हाथों में रहेगी।
आजादी के बाद देश के कोने-कोने तक विकास को पहुंचाने और आम जनता को मुख्य धारा से जोड़ने के लिए पंचायती राज व्यवस्था लागू करने के लिए बलवंत राय मेहता समिति की सिफारिश को 1 अप्रैल, 1958 को मंजूरी दी गई। जिसके बाद राजस्थान राज्य सरकार ने इस समिति की सुझाव को अमलीजामा पहनाने का काम किया और 2 सितंबर साल 1959 पंचायतीराज अधिनियम अपनी ओर से दे दी।
जिसके बाद आजादी के करीब 13 साल बाद ही सत्ता के विकेंद्रीकरण का पहला कदम राजस्थान के नागौर से शुरु हुआ। तब तात्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने 2 अक्टूबर, 1959 में राजस्थान के नागौर में पंचायती राज व्यवस्था का विधिवत उद्घाटन किया। जिसके साथ ही नागौर देश का पहला राज्य बना जहां पंचायती राज को लागू किया गया। इससे पहले राजस्थान पंचायत समिति और जिला परिषद एक्ट 1959 के तहत पंचायतों का देश का पहला चुनाव सितम्बर-अक्टूबर 1959 के दौरान कराया गया।
आपको बता दें कि बापू के इस सपने को उनके 100वीं जयंती के अवसर पर 2 अक्टूबर 1959 को लागू करने के दौरान पंडित जवाहर लाल नेहरू ने कहा था कि इससे ग्रामीण विकास को एक अलग पहचान मिलने के साथ ही उनके लिए क्रांतिकारी परिवर्तन लेकर आएगी। तो वहीं पंचायती राज व्यवस्था के स्थापना के साथ ही पूरे देश में नागौर को एक अलग पहचान भी मिली। हालांकि इसके बाद साल 1992 में 73वें संविधान संशोधन अधिनियम के द्वारा देश में त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था का प्रावधान लागू किया गया।