लॉयन सफारी में रहवास करने वाले कैलाश की उम्र चार साल थी। विभागीय अधिकारियों के मुताबिक कैलाश बिल्कुल स्वस्थ था, शाम पांच बजे खाना खाने के बाद शाम को ही तकरीबन 6.20 बजे उसकी तबीयत खराब होने लगी, कैलाश के उल्टी करने पर उसका उपचार किया गया लेकिन आज उसकी मृत्यु हो गई। तीन पशु चिकित्सकों के मेडिकल बोर्ड ने शव का परीक्षण कर विभिन्न अंगों के सैम्पल लिए जिन्हें आईवीआरआई बरेली भिजवाया गया है। मेडिकल बोर्ड ने मृत्यु का कारण कार्डियक अरेस्ट बताया है। नाहरगढ़ बायो पार्क प्रशासन ने कैलाश का अंतिम संस्कार कर दिया है।
नाहरगढ़ बायो पार्क में कैलाश से पूर्व भी लगातार कई वन्यजीवों की मौत हो चुकी है। लगातार हो रही मौतों ने वन्यजीव प्रेमियों को झकझोर कर रख दिया है लेकिन विभागीय अधिकारियों पर इसका कोई असर नहीं है। आपको बता दें कि इससे पूर्व सफेद बाघ राजा की मौत भी हो चुकी है। 4 अगस्त को राजा से दम तोड़ा था, उसके यूरीन में खून आ रहा था। इससे पूर्व 9 और 10 जून को बायो पार्क में बिग कैट फैमिली के दो सदस्यों की मौत हो गई थी। टाइगर रूद्र की 9 जून को मौत हो गई थी और अगले ही दिन 10 जून को शेर सिद्धार्थ की मृत्यु हो गई। दोनों में एक ही बीमारी के लक्षण मिले थे। उन दोनों ने भी इसी तरह से खाना पीना बंद कर दिया था। उन दोनों की मौत की वजह लेप्टोस्पायरोसिस नामक बीमारी को माना गया था जो कि चूहों और नेवलों के पेशाब से होती है। दोनों के सैम्पल आईवीआरआई बरेली भेजे गए थे जहां से अब तक उनकी रिपोर्ट नहीं आई है।
गत वर्ष 19 सितंबर को शेरनी सुजान, 21 को शावक रिद्धि और 26 सितंबर को सफेद बाघिन सीता की मौत हो गई थी। शेरनी तेजिकी की मौत भी नाहरगढ़ बायो पार्क में हुई थी और उसकी मौत की वजह लकवे को माना गया। सफेद बाघिन रंभा और उसके दोनों शावक भी इस प्रकार मृत्यु को प्राप्त हुए थे।
जिस तरह जानवरों की मौत हो रही है उसको देखते हुए यहां डॉक्टर की भूमिका और मॉनिटरिंग पहले से ही सवालों में हैं। विभागीय अधिकारी लगातार इस मौतों को लेकर लीपापोती करने में लगे हुए हैं। किसी भी अधिकारी पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है।