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जयपुर

सूची में नाम…भूखंड लेने के लिए आवंटी बने घनचक्कर

मामला जेडीए जोन 12 की ओम सरोवर आवासीय योजना का है। यहां आर्थिक दृष्टि से कमजोर (ईडब्लयूएस) और अल्प आय वर्ग (एलआइजी) श्रेणी के भूखंड लॉटरी के दौरान विकासकर्ता ने जमकर मनमर्जी की। लॉटरी निकालने के नाम पर खानापूर्ति हुई।

जयपुरMay 17, 2024 / 11:53 am

Ashwani Kumar

जयपुर। मुख्यमंत्री जन आवास योजना में प्रोजेक्ट स्वीकृत करा विकासकर्ता खुद तो फायदा तो ले रहे हैं, लेकिन जनता को सहूलियत देने की बारी आती है तो मनमर्जी शुरू कर देते हैं। जेडीए अधिकारी भी इस मनमानी में विकासकर्ता के साथ खड़े नजर आते हैं। मामला जेडीए जोन 12 की ओम सरोवर आवासीय योजना का है। यहां आर्थिक दृष्टि से कमजोर (ईडब्लयूएस) और अल्प आय वर्ग (एलआइजी) श्रेणी के भूखंड लॉटरी के दौरान विकासकर्ता ने जमकर मनमर्जी की। लॉटरी निकालने के नाम पर खानापूर्ति हुई। मौके पर पहुंची जेडीए टीम भी रस्म अदाकर लौट आई। सूत्रों की मानें तो अब विकासकर्ता ने अपने स्तर पर ही 26 लोगों के लिए पट्टे जारी कराने का आवेदन भी जेडीए में करवा दिया है।
ऐसे समझें गड़बड़झाला
-विकासकर्ता की ओर से सफल आवंटियों को यह तक नहीं बताया गया कि कितना पैसा कब और कहां जमा करना है?
-लाभार्थियों को भूखंड का साइज के बारे में भी जानकारी नहीं दी गई।
-कार्यालय के नाम पर 22 गोदाम स्थित कृष्णा कॉम्प्लेक्स का पता दिया गया, वहां कॉलोनी से संबंधित कुछ नहीं था।
-यहां से सफल आवंटियों को जेडीए भेजना शुरू कर दिया। जेडीए में ये लोग दो माह तक चक्कर लगाते रहे।
-बाद में वापस साइट ऑफिस पहुंचे तो इन आवंटियों में से ज्यादातर को पैसे जमा न करने की वजह से आवंटन निरस्त करने की बात कही।
यह है मामला
26 जनवरी को कालवाड़ रोड स्थित ओम सरोवर आवासीय योजना में ईडब्लयूएस और एलआइजी के लिए 70 भूखंडों की विज्ञप्ति जारी की। 15 फरवरी आवेदन की अंतिम तिथि थी। 27 फरवरी को लॉटरी निकाली गई। इसमें 70 की जगह 69 लोगों के नाम जारी किए गए। जबकि, मौके पर जोन 12 के तहसीलदार, लेखाधिकारी और योजना सहायक थे। तीनों ने सफल आवंटियों की सूची पर हस्ताक्षर भी किए हैं।
जेडीए की धीमी चाल
-29 फरवरी को कुछ लोगों ने जब इसकी शिकायत की तो जेडीए ने जांच के लिए टीम का गठन कर दिया।
-26 मार्च को संसाधन विकास एवं समन्वय शाखा के संयुक्त आयुक्त ने जोन 12 को पत्र लिखकर जांच कर रिपोर्ट मांगी।
कुछ लोगों की शिकायतें आई हैं। उसके आधार पर जांच चल रही है। विकासकर्ता से सॉफ्टवेयर मंगवाया है। यदि गड़बड़ी सामने आई तो कार्रवाई होगी। जांच पूरी होने के बाद ही पट्टे जारी किए जाएंगे।
-सुनील शर्मा, जोन उपायुक्त

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