देश का पहला चंद्र मिशन चंद्रयान-1 दस साल पहले 22 अक्टूबर 2018 को लांच किया गया था। इस यान का महत्वपूर्ण पे-लोड एम-3 जिसके बाहरी आवरण को तिरंगे का रूप दिया गया था 14 नवम्बर को चंद्रयान-1 से निकलकर चांद की सतह से जा टकराया था। चंद्रमा की 100 किमी वाली कक्षा में परिक्रमा कर रहे आर्बिटर से निकलकर चांद की सतह पर पहुंचने और टकराने के दौरान इस पे-लोड ने चांद पर पानी की मौजूदगी के संकेत दिए। चांद पर पानी की मौजूदगी एक ऐतिहासिक खोज साबित हुई। हालांकि, चंद्रमा पर कई मिशन भेजे गए लेकिन भारत से पहले किसी भी देश के मिशन ने इस बात के संकेत नहीं दिए कि चांद पर पानी हो सकता है।
नासा के वैज्ञानिकों को एम-3 पे-लोड से तीन ऐसे संकेत प्राप्त हुए जो निश्चित रूप से चांद पर बर्फ के रूप में पानी की मौजूदगी का प्रमाण देते हैं। एम-3 ने जो आंकड़े भेजे वे आंकड़े बर्फ से प्रतिबिंबित गुणों से मेल खाते हैं। इस उपकरण के आंकड़े पानी, बर्फ और वाष्प में भेद भी करते हुए बर्फ की मौजूदगी के पुख्ता सबूत दिए। वैज्ञानिकों ने कहा है कि चांद का वैसा हिस्सा जहां पर सूर्य की रोशनी या तो आती नहीं या फिर नहीं के बराबर पहुंचती है वहां बर्फ की मौजूदगी के प्रमाण मिलते हैं। चूंकि, चंद्रमा अपने अक्ष पर थोड़ा झुका हुआ है इसलिए सूर्य की रोशनी वहां तक नहीं पहुंचती और तापमान -156 डिग्री सेल्सियस तक चला जाता है।