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जयपुर

चंद्रयान-1 की खोज पर फिर लगी मुहर, चांद के धु्रवीय प्रदेशों में जमा है बर्फ

चंद्र यात्राओं के लिए महत्वपूर्ण संसाधान

जयपुरAug 21, 2018 / 09:46 pm

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चंद्रयान-1 की खोज पर फिर लगी मुहर, चांद के धु्रवीय प्रदेशों में जमा है बर्फ

बेंगलूरु.जयपुर. चंद्रयान-1 से प्राप्त जानकारी के आधार पर अमरीकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के वैज्ञानिकों ने चंद्रमा के धु्रवीय और अंधेरे में डूबे ठंडे हिस्सों में जमा हुआ पानी मिलने का दावा किया है। वैज्ञानिकों ने कहा कि यह जमी हुई बर्फ चंद्रमा की सतह पर कुछ मिलीमीटर की मोटाई में है। चंद्रमा के ऊपरी सतह पर जमी हुई बर्फ के रूप में पानी की मौजूदगी से इसका उपयोग भविष्य की चंद्र यात्राओं में संसाधन के तौर पर किया जा सकता है। चंद्रयान-1 के उपकरण (पे-लोड) मून-मिनरोलॉजी-मैपर (एम-3) द्वारा की गई यह खोज एक प्रतिष्ठित विज्ञान पत्रिका में प्रकाशित हुई है। वैज्ञानिकों ने चंद्रयान-1 के आंकड़ों का विश्लेषण करने के बाद शोध में कहा है कि यह बर्फ कुछ दूरी तक फैली हुई है और संभवत: बहुत पुरानी है। चंद्रमा के दक्षिणी ध्रव पर अधिकांश जमी हुई बर्फ चंद्रमा के क्रेटर पर है वहीं उत्तरी धु्रव पर जमी बर्फ ज्यादा व्यापक रूप से फैली है मगर बिखरी हुई है।
२२ अक्टूबर २०१८ को किया था लांच
देश का पहला चंद्र मिशन चंद्रयान-1 दस साल पहले 22 अक्टूबर 2018 को लांच किया गया था। इस यान का महत्वपूर्ण पे-लोड एम-3 जिसके बाहरी आवरण को तिरंगे का रूप दिया गया था 14 नवम्बर को चंद्रयान-1 से निकलकर चांद की सतह से जा टकराया था। चंद्रमा की 100 किमी वाली कक्षा में परिक्रमा कर रहे आर्बिटर से निकलकर चांद की सतह पर पहुंचने और टकराने के दौरान इस पे-लोड ने चांद पर पानी की मौजूदगी के संकेत दिए। चांद पर पानी की मौजूदगी एक ऐतिहासिक खोज साबित हुई। हालांकि, चंद्रमा पर कई मिशन भेजे गए लेकिन भारत से पहले किसी भी देश के मिशन ने इस बात के संकेत नहीं दिए कि चांद पर पानी हो सकता है।
नासा के वैज्ञानिकों को एम-3 पे-लोड से तीन ऐसे संकेत प्राप्त हुए जो निश्चित रूप से चांद पर बर्फ के रूप में पानी की मौजूदगी का प्रमाण देते हैं। एम-3 ने जो आंकड़े भेजे वे आंकड़े बर्फ से प्रतिबिंबित गुणों से मेल खाते हैं। इस उपकरण के आंकड़े पानी, बर्फ और वाष्प में भेद भी करते हुए बर्फ की मौजूदगी के पुख्ता सबूत दिए। वैज्ञानिकों ने कहा है कि चांद का वैसा हिस्सा जहां पर सूर्य की रोशनी या तो आती नहीं या फिर नहीं के बराबर पहुंचती है वहां बर्फ की मौजूदगी के प्रमाण मिलते हैं। चूंकि, चंद्रमा अपने अक्ष पर थोड़ा झुका हुआ है इसलिए सूर्य की रोशनी वहां तक नहीं पहुंचती और तापमान -156 डिग्री सेल्सियस तक चला जाता है।

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