पं. नीलेश शास्त्री ने बताया कि कि 25 मई को सूर्य देव सुबह 7.05 मिनट पर रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करेंगे। 15 दिनों तक इसी नक्षत्र में स्थित रहेंगे। रोहिणी नक्षत्र में सूर्यदेव के प्रवेश से नौतपा भी शुरू होगा। नौतपा से आशय सूर्य का नौ दिनों तक अपने सर्वोच्च ताप में होना है, यानि इस दौरान गर्मी चरम पर होगी। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक चंद्रदेव रोहिणी नक्षत्र के स्वामी हैं, जो शीतलता का कारक हैं लेकिन इस समय वे सूर्य के प्रभाव में आ जाते हैं।
ये रहेगा प्रभाव-
ज्योतिष गणना के मुताबिक सूर्य के रोहिणी नक्षत्र में आने का प्रभाव गुरु और शनि की वक्री चाल पर पड़ता है। इसके चलते नौतपा खूब तपेगा लेकिन 30 मई को शुक्र अपनी ही राशि वृषभ में अस्त हो रहा है। इसके चलते गर्मी की तपन कम हो सकती है। हालांकि नौतपा के आखिरी दो दिनों के भीतर आंधी तूफान व बारिश होने की संभावना रहेगी। दरअसल, शुक्र देव रस प्रधान हैं, जो सूर्य के ताप को कम करेंगे।
ये होता है नौतपा-
सूर्य रोहिणी नक्षत्र में 15 दिनों के लिए आता है। इन पंद्रह दिनों के पहले नौ दिन सर्वाधिक गर्मी वाले होते हैं। इन्हे नौतपा के नाम से जाना जाता है। खगोल विज्ञान के अनुसा धरती पर सूर्य की किरणें सीधी लंबवत पड़ती हैं, जिसके चलते तापमान बढ़ जाता है। ज्योतिषी मानते हैं कि नौतपा के सभी दिन तपें तो अच्छी बारिश का संकेत होता है। नौतपा का ज्योतिष के साथ पौराणिक महत्व भी है।