तो वहीं विशेष आयोजन के अलावा मंदिरों की साफ सफाई, साज-सज्जा, गर्भ-गृह, मूर्ति श्रृंगार, घटस्थापन, पूजन, दुर्गा सप्तशती पाठ, कन्या पूजन, आरती, देवी भागवत पुराण कथा एवं स्थानीय भक्तों द्वारा भजन-कीर्तन भी आयोजन किए जाएंगे। कार्यक्रम हालांकि सुहब 9 बजे से शाम 4 बजे तक चलेंगे। लेकिन भजन कीर्तन का कार्यक्रम देर रात तक चलेगा। जबकि इसके लिए सहायक आयुक्तों को पोस्टर-बैनर लगाए जाने के निर्देश दिए गए हैं, जिससे कि ज्यादा से ज्यादा श्रद्धालु इन आयोजनों में हिस्सा ले सकें। जबकि जनसमान्य की भागीदारी को पक्का करने के लिए सहायक आयुक्तों द्वारा आमंत्रण पत्र मुद्रित कर वितरित भी किए जाएंगे।
राजस्थान में देवस्थान के श्री कैला देवी मंदिर झीलकावाड़ा भरतपुर, श्री सतूर माता जी बूंदी, श्री विश्वन्त माताजी झालावाड़, श्री कृष्णाई माताजी रामगढ़ बारां, श्री आसींद राय माता जी आसींद, भीलवाड़ा, श्री विजवा माताजी मोदपुर, श्री अन्नपूर्णा जी चित्तौड़गढ़, श्री डाढ़ देवी माता जी
कोटा , डूंगरपुर, श्री दक्षिण कालिकाजी बांसवाड़ा, श्री माताजी मावलियान आमेर रोड
जयपुर आदि मंदिरों में नवरात्र पर विशेष कार्यक्रम होंगे। पूरे कार्यक्रम को
ध्यान में रखते हुए सहायक आयुक्तों को निर्देश दिया गया है कि किसी प्रकार की समस्या होने पर तुरंत समाधान के लिए विभाग के शासन सचिव और देवस्थान आयुक्त से तुरंत संपर्क करें।
बता दें कि गुरुवार को नवरात्रा पर्व पर
शक्ति पीठ व धार्मिक स्थलों पर घट स्थापना के बाद ही देवी की नौ दिवसीय आराधना और अनुष्ठान शुरू होंगे। वहीं श्रद्धालु शहर में जगह-जगह पांडालों में मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित करके महोत्सव के रूप में मनाएंगे। सुबह घट स्थापना के बाद शाम को मंदिरों में महाआरती के बाद आकर्षित विद्युत रोशनी से सजे पांडालों में गरबा नृत्य के साथ ही डांडियों की खनक गूंजने लगेगी। नवरात्र के पहले दिन मां के प्रथम स्वरूप शैलपुत्री की पूजा होगी।