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जयपुर

देश को ऑक्सीजन और रेमडेसिविर के लिए ‘युद्ध का मैदान’ बनाना उचित नहीं: पायलट

सचिन पायलट ने कहा है कि कोरोना महामारी के इस दौर में देश को ऑक्सीजन, वेंटिलेटर और रेमडेसिविर दवा के लिए युद्ध का मैदान नहीं बनने दिया जाएगा। कोरोना की दूसरी लहर को राष्ट्रीय चिकित्सीय आपातकाल के तौर पर देखने की जरूरत है।

जयपुरApr 28, 2021 / 02:16 pm

santosh

sachin pilot

Sachin Pilot File Photo

जयपुर@पत्रिका। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राजस्थान के पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने कहा है कि कोरोना महामारी के इस दौर में देश को ऑक्सीजन, वेंटिलेटर और रेमडेसिविर दवा के लिए युद्ध का मैदान नहीं बनने दिया जाएगा। कोरोना की दूसरी लहर को राष्ट्रीय चिकित्सीय आपातकाल के तौर पर देखने की जरूरत है। इससे निपटने की जिम्मेदारी सिर्फ राज्यों पर नहीं छोडऩी चाहिए। केन्द्र सरकार को राज्यों की हरसंभव मदद के लिए आगे आना चाहिए। पायलट ने पत्रिका से बातचीत में कहा कि अभी आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति करना उचित नहीं है। इस आपात स्थिति से निपटने के लिए केन्द्र को तत्काल सर्वदलीय बैठक बुलानी चाहिए।

– पत्रिका: कोरोना के खतरे से बाहर आने के लिए आपकी नजर में क्या रणनीति बनानी चाहिए?
– पायलट: केंद्र सरकार को ऑक्सीजन, रेमडेसिविर इंजेक्शन और वेंटिलेटर की व्यवस्था के लिए फार्मूला और मापदंड तय करने चाहिए थे। ताकि सभी राज्यों को जरूरत के हिसाब से पारदर्शी ढंग से संसाधनों का वितरण हो सके।

– पत्रिका: गैर भाजपा शासित राज्य ऑक्सीजन-रेमडेसिविर के वितरण में भेदभाव का आरोप लगा रहे हैं?
– पायलट: राज्यों को इनके आवंटन के लिए केंद्र को तीन-चार तरह के मापदंड बनाने चाहिए थे। मसलन, राज्यों में कोरोना के मरीज कितने हैं, संक्रमण और मृत्यु दर क्या है। अस्पतालों में पलंग कितने हैं और ऑक्सीजन सहित दवा का वितरण कर स्थिति कैसे संभाली जाए। जिन राज्यों में अभी ऑक्सीजन की जरूरत नहीं, वहां से जरूरत वाले राज्यों में पहुंचाने में गति लाई जाए।

– पत्रिका: आर्थिक बोझ से गुजर रहे राज्यों पर अब वैक्सीन का भार डालना क्या सही है?
– पायलट: वैक्सीन की दर ‘एक देश, एक कीमत’ के आधार पर तय होनी चाहिए। केन्द्र को बुजुर्गों की तरह युवाओं के लिए भी वैक्सीन नि:शुल्क देनी चाहिए। राज्य पहले ही भारी आर्थिक बोझ से गुजर रहे हैं, उन पर वैक्सीन का भार डालना उचित नहीं है।

– पत्रिका: केन्द्र ने कीमतें तय करने का काम कंपनियों को सौंप दिया है, यह सही कदम है?
– पायलट: नहीं। हम जीवनरक्षक टीकों की कीमत और मुनाफे का फैसला कंपनियों पर नहीं छोड़ सकते। भारत कंपनियों, समूहों और व्यक्तियों को इसकी अनुमति नहीं दे सकता कि वे इस मौके पर निवेश, रिटर्न और मुनाफे को देखें। दुनिया में टीकों के निर्माण में भारत आगे है लेकिन यह त्रासदी ही कही जाएगी कि देश अपने ही नागरिकों को टीका लगाने के लिए संघर्ष कर रहा है। यह भारत सरकार की विफलता ही है।

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