नींदड़ आवासीय योजना प्रभावित किसान बताते हैं कि अपने हक के लिए वर्ष 2017 में जमीन समाधि सत्याग्रह शुरू किया था। तब तत्कालीन पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की अगुवाई वाली भाजपा सरकार ने किसानों को उनकी मांगे मानने का भरोसा दिलाकर सत्याग्रह खत्म करवाया था। इसी दौरान प्रदेश में सरकार बदल गई और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अगुवाई वाली कांग्रेस बनी। नींदड़ के किसानों ने अपनी मांगों को लेकर जनवरी 2020 में जमीन समाधि सत्याग्रह शुरू किया। कड़ाके की ठंड में किसानों के जमीन समाधि सत्याग्रह में काश्तकारों की जान को खतरे की आंशका पैदा हो गई। हालात को देखते हुए राज्य के सरकारी मुख्य सचेतक महेश जोशी किसानों के पास पहुंचे। जोशी ने किसानों को उनकी मांगे मानने का भरोसा दिलाया और जमीन समाधि सत्याग्रह खत्म करवा दिया। लेकिन किसानों का आंदोलन जारी रहा। जेडीए अधिकारियों के साथ 3 दौर की वार्ता विफल होने के बाद नींदड़ के किसान एक बार फिर से जमीन समाधि सत्याग्रह कर रहे हैं।
वार्ता का न्योता ठुकराया
किसानों के जमीन समाधि सत्याग्रह को देखते हुए जेडीए समिति में शामिल अधिकारी काश्तकारों को वार्ता का न्योता देने पहुंचे। लेकिन किसानों ने जेडीए अधिकारियों से वार्ता करने का न्योता ठुकरा दिया। नींदड़ किसान आंदोलन के संयोजक नगेन्द्र शेखावत का कहना है कि जेडीए किसानों के साथ 3 बार वार्ता हो चुकी है। लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। जेडीए प्रशासन वार्ता के नाम पर दो बार जमीन समाधि सत्याग्रह को खत्म करवा चुका है। अब राज्य सरकार के दखल के बिना किसान आंदोलन खत्म नहीं करेंगे। जब तक हक नहीं मिलेगा जमीन समाधि सत्याग्रह जारी रहेगा।