इस पूरे मामले की पड़ताल और अभ्यर्थियों से बातचीत में यह भी सामने आया कि जिन टॉपर विद्यार्थियों ने पहले चरण में जॉइनिंंग नहीं दी, उन्हीं विद्याथियों को दूसरे चरण में भी प्राथमिकता दे दी गई। ऐसे में दोनों चरण होने के बवजूद टॉप कॉलेजों की सीटें खाली रह गईं। अब अभ्यर्थियों का आरोप है कि जानबुझकर टॉपर डमी अभ्यर्थियों से सीटें भरी गई, जिससे कि मॉपअप चरण में नीचे रैंक वालों को सीटें मिल जाए। उधर, इस पूरे विवाद के बाद अब एसएमएस मेडिकल कॉलेज में विद्यार्थियों ने धरना शुरू कर दिया है।
इस तरह के मामले उदाहरण के तौर पर एक विद्यार्थी को जोधपुर मेडिकल कॉलेज मिला, लेकिन यहां पहले से ही सीटें छोड़ दी गईं। एसएमएस में शुरुआत की 16 सीटें खाली ही रह गई। दरअसल, 9 अगस्त को सरकार की तरफ से सीट छोडऩे की अंतिम तिथि थी। 10 अगस्त को खाली हुई सीटों की सूची जारी की गई। पहली बार ऐसा हुआ था कि सरकारी मेडिकल कॉलेजों की सीटें भी खाली रह गईं थी।
आरक्षण को लेकर भी सवाल मॉपअप चरण में अनुसूचित जाति, जनजाति और ओबीसी की रिक्त सीटों को डिस्प्ले नहीं किया गया और न ही वर्गवार वरीयता सूची बनाई गई। इसमें एकमात्र वरीयता सूची बनाकर सभी रिक्त सीटों को सामान्य वर्ग से भर दिया गया।
चिकित्सा मंत्री ने की शिकायतों की समीक्षा
चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा ने सभी शिकायतों की समीक्षा कर निर्धारित प्रावधानों के अनुसार सीट आवंटन प्रक्रिया पूरी करने के निर्देश दिए हैं। चिकित्सा शिक्षा शासन सचिव हेमंत गेरा सहित चिकित्सा शिक्षा से जुड़े वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक कर नीट परीक्षा 2019 के तहत सीट आवंटन की प्रक्रिया में पारदर्शिता रखने की बात कही।
चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा ने सभी शिकायतों की समीक्षा कर निर्धारित प्रावधानों के अनुसार सीट आवंटन प्रक्रिया पूरी करने के निर्देश दिए हैं। चिकित्सा शिक्षा शासन सचिव हेमंत गेरा सहित चिकित्सा शिक्षा से जुड़े वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक कर नीट परीक्षा 2019 के तहत सीट आवंटन की प्रक्रिया में पारदर्शिता रखने की बात कही।