टीना बैरागी शर्मा
जयपुर
आज भले ही हम स्मार्ट सिटी व डिजिटल इंडिया में खुद को शामिल होने की बात पर इतराते हो लेकिन प्रदेश के हजारों बच्चे अपनी सांसे बचाने में लगे हुए है। ये वो मासूम है जो कुपोषण का शिकार है। जिन्हें खुद ये पता नहीं कि अगले पल वे जिंदा होंगे या नहीं। लेकिन सरकारी नुमाइंदों को इसकी रत्ती भर भी चिंता नहीं। इसकी बानगी आंगनबाड़ी केंद्रों पर देखी जा सकती है।
जयपुर
आज भले ही हम स्मार्ट सिटी व डिजिटल इंडिया में खुद को शामिल होने की बात पर इतराते हो लेकिन प्रदेश के हजारों बच्चे अपनी सांसे बचाने में लगे हुए है। ये वो मासूम है जो कुपोषण का शिकार है। जिन्हें खुद ये पता नहीं कि अगले पल वे जिंदा होंगे या नहीं। लेकिन सरकारी नुमाइंदों को इसकी रत्ती भर भी चिंता नहीं। इसकी बानगी आंगनबाड़ी केंद्रों पर देखी जा सकती है।
दरअसल सरकार ने इन अफसरों पर केंद्र पर आने वाले मासूम बच्चों का वजन लेने की जिम्मेदारी सौंपी है और इसके लिए सभी केंद्रों पर ‘स्टैंडर्ड आॅपरेटिंग प्रोसीजर्स उपकरण’ दिया गया है। जिससे एक्यूरेट वजन लिया जाता है। लेकिन कई जिलों में इनका नियमित रुप से वजन नहीं लेने की शिकायतें विभाग को मिल रही है। इसके पीछे अलग—अलग तरह की बातें सामने आई है लेकिन जिम्मेदारों ने समय पर वजन नहीं लेने की वजह स्टाफ की कमी बताई है। इनका कहना है कि एक वर्कर पर कई काम सौंप रखे है। ऐसे में हर बच्चे पर फोकस नहीं हो पाता। विभाग ने इस पर चिंता जताई है और ऐसे जिलों को रिमाइंडर भेजकर बच्चों का हर महीने के पहले गुरुवार को वजन लेने के निर्देश दिए है। साथ ही लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई करने की हिदायत भी दी है।
यदि आंकड़ों पर गौर करें तो—
रेपिड सर्वे आॅन चिल्ड्रन के अनुसार प्रदेश में 6 माह से लेकर 5 साल तक के बच्चों में तकरीबन 22 हजार बच्चे कुपोषण का शिकार है। वहीं अन्य रिपोर्ट्स पर गौर करें तो उदयपुर समेत अन्य जिलों में ऐसे मासूमों की संख्या एक लाख से अधिक है। जानकारी के अनुसार उच्च प्राथमिकता वाले जिलों में कुपोषण के स्तर में सुधार के लिए अधिक फोकस किया जा रहा है। इनमें बारां, डूंगरपुर, उदयपुर, राजसमंद, प्रतापगढ़ समेत कई जिले शामिल है।
रेपिड सर्वे आॅन चिल्ड्रन के अनुसार प्रदेश में 6 माह से लेकर 5 साल तक के बच्चों में तकरीबन 22 हजार बच्चे कुपोषण का शिकार है। वहीं अन्य रिपोर्ट्स पर गौर करें तो उदयपुर समेत अन्य जिलों में ऐसे मासूमों की संख्या एक लाख से अधिक है। जानकारी के अनुसार उच्च प्राथमिकता वाले जिलों में कुपोषण के स्तर में सुधार के लिए अधिक फोकस किया जा रहा है। इनमें बारां, डूंगरपुर, उदयपुर, राजसमंद, प्रतापगढ़ समेत कई जिले शामिल है।
होना ये चाहिए—
केंद्र पर आने वाले हर बच्चे का वजन रोजाना हो। और जो बच्चे केंद्र पर नहीं आए उनके घर जाकर वर्कर इनका वजन लेंगी। ताकि रिपोर्ट बनाते वक्त एक भी बच्चा मिसिंग ना हो।
केंद्र पर आने वाले हर बच्चे का वजन रोजाना हो। और जो बच्चे केंद्र पर नहीं आए उनके घर जाकर वर्कर इनका वजन लेंगी। ताकि रिपोर्ट बनाते वक्त एक भी बच्चा मिसिंग ना हो।
केंद्र सरकार के ये हैं निर्देश—
केंद्र सरकार ने पोषण मिशन कार्यक्रम को बढ़ावा देने के लिए सभी राज्य व उनके जिलों में पोषण स्तर के सुधार के निर्देश देते हुए जिलाधिकारियों को ‘वजन दिवस’ आयोजित कराने को कहा है। लेकिन अधिकतर जिलों में इसकी पालना नहीं होने से ये कार्यक्रम अपने मकसद से भटक रहा है।
केंद्र सरकार ने पोषण मिशन कार्यक्रम को बढ़ावा देने के लिए सभी राज्य व उनके जिलों में पोषण स्तर के सुधार के निर्देश देते हुए जिलाधिकारियों को ‘वजन दिवस’ आयोजित कराने को कहा है। लेकिन अधिकतर जिलों में इसकी पालना नहीं होने से ये कार्यक्रम अपने मकसद से भटक रहा है।
मंत्री का दावा—
महिला एवं बाल विकास विभाग की मंत्री अनिता भदेल ने भी पिछले दिनों दावा किया था कि प्रदेश में 2022 तक कुपोषण जैसी कुरीतियों को खत्म करने में विभाग कसर नहीं छोड़ेगा। इसके लिए ‘सोशल एंड बिहेवियर चेंज’ स्ट्रेटेजी की शुरुआत की है। भदेल ने कहा था कि लोगों में व्यवहार में बदलाव से राजस्थान में कुपोषण से लड़ाई में मदद मिल सकती है। सभी प्रमुख विभागों के कन्वर्जन से इस रणनीति को सफल बनाया जाएगा।
महिला एवं बाल विकास विभाग की मंत्री अनिता भदेल ने भी पिछले दिनों दावा किया था कि प्रदेश में 2022 तक कुपोषण जैसी कुरीतियों को खत्म करने में विभाग कसर नहीं छोड़ेगा। इसके लिए ‘सोशल एंड बिहेवियर चेंज’ स्ट्रेटेजी की शुरुआत की है। भदेल ने कहा था कि लोगों में व्यवहार में बदलाव से राजस्थान में कुपोषण से लड़ाई में मदद मिल सकती है। सभी प्रमुख विभागों के कन्वर्जन से इस रणनीति को सफल बनाया जाएगा।