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Hepatitis : तीन माह की एंटीवायरल ड्रग प्रभावी

बारिश के मौसम में फूड इंफेक्शन से होने वाली बीमारियों में सबसे प्रमुख मानी जाती है हेपेटाइटिस। दूषित भोजन और पानी से यह रोग तेजी से फैलता है। इसके शुरुआती लक्षण पर यदि ध्यान न दिया जाए तो यह रोग जानलेवा हो सकता है। इसके लिए जागरुकता बेहद जरूरी है। हमारे एक्सपर्ट से जानते हैं कि कैसे रख सकते हैं खुद को बीमारी से दूर।

जयपुरAug 02, 2019 / 04:20 pm

Divya Sharma

Hepatitis : तीन माह की एंटीवायरल ड्रग प्रभावी

Hepatitis : तीन माह की एंटीवायरल ड्रग प्रभावी

बारिश के मौसम में फूड इंफेक्शन से होने वाल बीमारियों में सबसे प्रमुख मानी जाती है हेपेटाइटिस। दूषित भोजन और पानी से यह रोग तेजी से फैलता है। इसके शुरुआती लक्षण पर यदि ध्यान न दिया जाए तो यह रोग जानलेवा हो सकता है। इसके लिए जागरुकता बेहद जरूरी है। इस वर्ष की थीम इन्वेस्ट इन एलिमिनेटिंग हेपेटाइटिस है। हमारे एक्सपर्ट से जानते हैं कि कैसे रख सकते हैं खुद को बीमारी से दूर।

यह भी भ्रम

लोगों में यह भ्रम है कि हेपेटाइटिस का कोई उपचार नहीं। ऐसा नहीं है इलाज के अलावा बचाव के लिए टीके भी उपलब्ध हैं। अच्छी बात है कि अब तक हेपेटाइटिस सी के लिए कोई टीका या इलाज नहीं था, जिसके लिए अब नई एंटीवायरल दवाएं आ गई हैं। इसका कोर्स तीन माह के अंतराल में चलता है। गर्भवती से भी हेपेटाइटिस सी शिशु में पहुंच सकता है। इन्हें गर्भावस्था के दौरान तीसरे माह से ये दवाएं देनी शुरू कर देते हैं ताकि शिशु का इससे बचाव संभव हो।

33 लाख लोग पीडि़त
डब्ल्यूएचओ के अनुसार दुनियाभर में लगभग 33 लाख लोग वायरल हेपेटाइटिस-बी व सी से पीडि़त हैं। ट्यूबरक्लोसिस के बाद यह दूसरी घातक बीमारी है। इसके अलावा एचआइवी की तुलना में नौ गुना अधिक लोग हेपेटाइटिस से संक्रमित हैं।

क्या है बीमारी
लिवर में सूजन की समस्या है हेपेटाइटिस। वैसे तो सूजन स्वत: ठीक हो जाती है लेकिन शुरुआती लक्षणों की पहचान कर सही तरीके से इलाज नहीं कराने पर लिवर फाइब्रोसिस, सिरोसिस या लिवर कैंसर हो सकता है। यह बीमारी हेपेटाइटिस वायरस से फैलती है जिसका माध्यम किसी प्रकार का संक्रमण, विषाक्त पदार्थ (शराब या कुछ विशेष दवाएं) और ऑटोइम्यून रोग भी हैं। मुख्य रूप से हेपेटाइटिस पांच प्रकार का होता है।

हेपेटाइटिस – ए : यह आमतौर पर होने वाली बीमारी है। दूषित खानपान और असुरक्षित संबंध बनाने से इसकी आशंका बढ़ जाती है।
हेपेटाइटिस – बी व सी : ये ज्यादातर संक्रमित रक्त, रक्त उत्पादों, चिकित्सा प्रक्रिया के दौरान संक्रमित सुई या अन्य के संपर्क में आने से फैलता है।
हेपेटाइटिस डी व ई : ऐसे लोग जो पहले से ही हेपेटाइटिस-बी वायरस से पीडि़त होते हैं, उनमें हेपेटाइटिस-डी की आशंका अधिक होती है। वहीं हेपेटाइटिस-ई के मामले बेहद कम सामने आते हैं।
ऑटोइम्यून हेपेटाइटिस : जब अन्य कोई हेपेटाइटिस क्रॉनिक रूप ले ले तो ऑटोइम्यून हेपेटाइटिस की आशंका बढ़ जाती है। इसमें रक्त की सफेद रुधिर कोशिकाओं के लिवर पर हमला करने से उसमें सूजन और क्षति पहुंचती है।

लिवर कैंसर का ले रहा रूप
भारत में हेपेटाइटिस के अन्य प्रकार की तुलना में हेपेटाइटिस – बी के मामले जनसंख्या के औसतन चार प्रतिशत लोगों के हैं। हालांकि इस बीमारी में सबसे ज्यादा नुकसान लिवर को ही होता है। ऐसे में लिवर संबंधी रोगों से जुड़े मुख्य कारणों में हेपेटाइटिस-बी दूसरे नंबर पर है। खास बात यह है कि जब तक इस समस्या के लक्षण सामने आते हैं तब तक लिवर की खराबी एडवांस्ड स्टेज में पहुंच जाती है। जिसमें लिवर कैंसर अहम है। ऐसे में एंटीवायरल डोज दी जाती है ताकि लिवर को नुकसान से बचाया जाए।

समय रहते टीकाकरण
चिकित्सा विभाग में हेपेटाइटिस ए, बी व ई का वैक्सीन उपलब्ध है लेकिन हेपेटाइटिस-सी का नहीं। अब इसके लिए सभी सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में इलाज संभव है। नई एंटीवायरल दवाएं तीन माह तक दी जाती हैं।

एक्सपर्ट : डॉ. सुरेश सिंघवी चीफ लिवर सर्जन, सर गंगाराम अस्पताल, नई दिल्ली
एक्सपर्ट : डॉ. एस.एस. शर्मा सीनि.प्रो. गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी विभाग, एसएमएस अस्पताल, जयपुर

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