जयपुर. दो साल से कोरोना संकट के दौरान रोजगार की मंदी से जूझ रहे प्रदेश के हस्तशिल्पियों और दस्तकारों को संबल की उम्मीद बनी प्रस्तावित हैंडीक्राफ्ट नीति लेटलतीफी के संक्रमण में फंस गई है। बीते साल मार्च में उद्योग विभाग ने राज्य की पहली हैंडीक्राफ्ट नीति का प्रारूप जारी कर दिया,लेकिन अफसरशाही की सुस्ती का हाल यह है कि दस माह से ये मसौदा उद्योग भवन और सचिवालय के बीच धक्के खा रहा है। इधर, राज्य के करीब छह लाख से अधिक हस्तशिल्पी हर दिन इस नीति का इंतजार कर रहे हैं। यह नीति लागू होती तो कोरोना संकट के दौरान इन कलाकारों को तीन लाख रुपए तक का ब्याज मुक्त लोन और सामाजिक सुरक्षा की कई सुविधाएं मिल सकती थीं।
अगस्त में कर दी मंत्री ने मंजूर प्रारूप पर सुझाव लेने की औपचारिकता के बाद तत्कालीन उद्योग मंत्री परसादी लाल मीणा ने विभाग की तरफ से इस नीति के प्रारूप को मंजूर कर दिया था। उद्योग और वित्त विभाग के अधिकारियों ने इस पर चर्चा भी कर ली, लेकिन आधिकारिक तौर पर अब भी नीति धरातल पर नहीं आ पाई है।
ये भी हैं प्रमुख प्रावधान — 18 से 50 वर्ष के हस्तशिल्पियों को समूह बीमा मुहैया कराया जाएगा। — राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कृत दस्तकारों, बुनकरों के बच्चों को मान्यता प्राप्त हस्तशिल्प संस्थान से डिग्री, डिप्लोमा करने पर छात्रवृत्ति। — प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना में शिल्पकारों के अंश का भुगतान सरकार देगी। — हस्तशिल्प की विभिन्न श्रेणियों में हर साल राज्य स्तरीय पुरस्कार — विलुप्त होती कलाओं को लेकर सेमिनार, वर्कशॉप — रा्ष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त हस्तशिल्पियों को डीलक्स बस, द्वितीय श्रेणी रेल किराए एवं पंजीकृत हस्तशिल्पियों को द्रुतगामी बस व द्वितीय श्रेणी रेल किराए का भुगतान
प्रदेश के प्रमुख हस्तशिल्प — हैंड ब्लॉक प्रिंट, बंधेज, टाइ एंड डाइ, दाबू, अजरक, कुंदन मीनाकारी, टेराकोटा, ब्लू पॉटरी, थेवा, टेराकोटा, कोटा डोरिया, जयपुरी रजाई, उस्ता आर्ट, जोधपुरी—जयपुरी जूतियां आदि
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