प्रमुख शासन सचिव सहकारिता नरेश पाल गंगवार ने बताया कि सहकारी बैंकों की ओर से इकाईयों की स्थापना के लिए 75 प्रतिशत तक ऋण दिया जाएगा। जिसकी ब्याज दर 10 प्रतिशत होगी। राज्य सरकार की ओर से इस ब्याज दर में कृषक और कृषक समूह की ओर से स्थापित होने वाली इकाईयों पर 5 साल के लिए 6 प्रतिशत ब्याज अनुदान दिया जाएगा जो कि अधिकतम 1 करोड़ रुपए होगा। जबकि अन्य उद्यमियों को 5 साल के लिए 5 प्रतिशत ब्याज अनुदान दिया जाएगा जो कि अधिकतम 50 लाख रूपए होगा।
मिलेगा इतना अनुदान
प्रमुख शासन सचिव गंगवार ने बताया कि इसी तरह से कृषक और कृषक समूहों की ओर से स्थापित होने वाली इकाई की लागत में होने वाले व्यय पर अनुदान के रूप में पूंजीगत लागत का 50 प्रतिशत या फिर अधिकतम 1 करोड़ रूपए का अनुदान दिया जाएगा। जबकि अन्य उद्यमियों के लिए पूंजीगत लागत का 25 प्रतिशत या फिर अधिकतम 50 लाख रूपए का अनुदान भी दिया जाएगा। इकाई स्थापित करने वाले उद्यमियों को राजस्थान राज्य कृषि विपणन बोर्ड स्तर पर स्थापित की जाने वाली एकल खिड़की के माध्यम से वित्त पोषण हेतु अपेक्स बैंक को भेजे जाएंगे।
रजिस्ट्रार, सहकारिता, डॉ. नीरज के. पवन ने बताया कि योजना के तहत बैंक ऋण पर आदिवासी क्षेत्रों, पिछड़े जिलों में स्थित इकाईयों, अनुसूचित जाति व जनजाति, महिला एवं 35 वर्ष से कम आयु के उद्यमियों को भी 1 प्रतिशत अतिरिक्त ब्याज अनुदान दिया जाएगा। सरकार के इस निर्णय से कृषि उद्योगों का विकास होगा। वहीं किसानों को आपूर्ति एवं मूल्य संवर्धन श्रंखला का भी विकास होगा। इससे राज्य में कृषि निर्यातकों को बढ़ावा एवं बिचैलियों से किसानों को मुक्ति मिलेगी। किसान एवं किसान संगठनों के जरिए इकाईया स्थापित होने पर ऋण एवं पूंजीगत लागत के रूप में 2 करोड़ रूपये का अनुदान दिया जाएगा। राज्य की विशिष्ट फसलों जैसे जीरा, धनिया, मेंथी, सौंफ, अजवायन, ग्वार, इसबगोल, दलहन, तिलहन, मेंहदी, ताजा सब्जिया, किन्नूर, अनार, आदि के मूल्य संवर्धन के साथ ही निर्यात को प्रोत्साहन मिलेगा। साथ ही इन उत्पादों की पहुंच राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर होगी।