नई नीति में पहली बार सौर व पवन उर्जा का स्टोरेज करने पर मुख्य रूप से फोकस किया गया है। जो भी कंपनियां प्लांट लगाएंगी, उन्हें स्टोरेज की अत्याधुनिक संसाधन लगाने ही होंगे। आपको बता दें कि अभी स्टोरेज की पूरी व्यवस्था नहीं होने से 24 घंटे बिजली उपलब्ध नहीं हो पाती है। इस स्थिति को सौर व पवन उर्जा उत्पादन विकास में बड़ी बाधा भी माना गया है। बिना स्टोरेज के 2.50 रुपए से 2.75 रुपए प्रति यूनिट तक उत्पादन लागत आती है, जबकि स्टोरेज सहित 7 से 8 रुपए प्रति यूनिट लागत आंकी गई है। हालांकि, उम्मीद जताई गई है कि जब बड़े स्तर पर स्टोरेज के साथ बिजली उत्पादन होने लगेगा तो यह लागत घट जाएगी।
नई नीति में नए प्रावधान -सोलर में 5100 मेगावॉट के पावर परचेज एग्रीमेंट करेंगे
-पवन ऊर्जा में 1500 मेगावॉट के पावर परचेज एग्रीमेंट होंगे
-पवन ऊर्जा की पुरानी मशीनों को अत्याधुनिक मशीनों से बदलना अनिवार्य होगा
-सोलर पार्क विकसित करने वालों को जमीन से जुड़े शुल्क में कई छूट मिलेगी
-डिस्कॉम से बाहर बिजली बेचने के दौरान ट्रांसमिशन चार्ज में छूट
-बीकानेर, जैसलमेर, बाड़मेर में सोलर प्लांट के लिए 1.25 लाख हैक्टेयर जमीन चिन्हित
-यहां होगा 143 गीगाबाइट बिजली उत्पादन
राज्य में अभी प्रभावी नीति
-सौर ऊर्जा नीति, 2014
-पवन ऊर्जा नीति, 2012
-बायोमॉस ऊर्जा नीति, 210 2300 मेगावॉट क्षमता के रूफटॉफ सोलर प्लांट
राज्य सरकार ने वर्ष 2022 तक 2300 मेगावॉट क्षमता के रूफटॉफ सोलर प्लांट लगाने का टारगेट तय किया है। अभी राज्य में 300 मेगावॉट क्षमता के ही प्लांट हैं। यही कारण है कि निवेश करने वाली कंपनियों को कई रियायतें दी जाएगी। नई नीति में राजस्थान में सोलर पार्क लगाने वाली कंपनियों को रीको इण्डस्ट्रीयल एरिया में प्राथमिक तौर पर जमीन देने से लेकर कई अन्य रियायत देने का प्रावधान किया गया है।नई नीति के जरिए राज्य सरकार निवेशकों को रिझाने का पूरा प्रयास कर रही है, जिससे सोलर और पवन उर्जा में पहले पायदान पर लाना चाह रही है।