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क्षमा आत्मा का स्वभाव, दशलक्षण पर्व के पहले दिन हुई उत्त्म क्षमा धर्म की पूजा

locationजयपुरPublished: Sep 15, 2018 12:21:11 am

Submitted by:

Harshit Jain

-आज होगी उत्तम मार्दव धर्म की पूजा

jaipur

क्षमा आत्मा का स्वभाव, दशलक्षण पर्व के पहले दिन हुई उत्त्म क्षमा धर्म की पूजा

जयपुर. दिगम्बर जैन धर्मावलंबियों के पर्यूषण के दशलक्षण पर्व के तहत शुक्रवार को वीतराग धर्म का पहला लक्षण उत्तम क्षमा लक्षण मनाया। इस दौरान मंदिरों में प्रात: अभिषेक, शांतिधारा के बाद दशलक्षण धर्म की विधान मण्डल पर अष्टद्रव्य से पूजा की गई। शाम को महाआरती के बाद वीतराग धर्म के उत्तम क्षमा लक्षण पर मार्मिक प्रवचन हुए जिसमें बताया गया कि क्षमा ग्रहण करने से इस भाव के साथ-साथ अगले जन्म में भी सुख मिलता है। गाली सुनकर भी जिसके ह्रदय में खेद उत्पन्न न हो वह उत्तम क्षमावान है। क्रोध का अभाव क्षमा है। इसलिए कहा गया है कि क्षमा वीरस्य भूषणम अर्थात् क्षमा वीरगतियों का आभूषण है। अत: मनुष्य को अपने जीवन में कभी भी क्रोध नहीं करना चाहिए। प्रवचन के बाद शहर के विभिन्न मंदिरों में शिक्षाप्रद धार्मिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए। शनिवार को वीतराग धर्म का उत्तम मार्दव धर्म मनाया जाएगा।
हुए कलशाभिषेक
दिगम्बर जैन मंदिर जनकपुरी ज्योति नगर में आर्यिका गौरवमती ससंघ सानिध्य में सुबह 6 बजे मूलनायक नेमिनाथ भगवान के स्वर्ण और रजत कलशो से कलशाभिषेक कर आर्यिका के मुखारविंद शांतिधारा की गई। आर्यिका ने उत्तम क्षमा धर्म पर अपने उपदेश देते हुए कहा की प्रतिकार करने की सामथ्र्यता होने के बावजूद भी सहन करना ही उत्तम क्षमा धर्म है। हर किसी का प्रतिकार कर उसे हरा देना या उसे नीचा दिखाना बड़ी बात नहीं है अपितु उसका प्रायुतर न देकर उस कड़वे घूंट को अमृत समझ कर पी जाना सहन कर देना और आत्मा विवेक को जागृत कर लेना यही क्षमा धर्म बतलाता है।

क्रोध का एक ही कारण है अपेक्षा
मानसरोवर वरुण पथ दिगम्बर जैन मंदिर में आर्यिका विज्ञाश्री के सानिध्य में चौसठ रिद्धि मंडल विधान पूजन किया गया। आर्यिका के सानिध्य में शाम को महाआरती के बाद विद्यासागर आगम पाठशाला के बच्चों ने विचित्र वेशभूषा के जरिए धर्म के मर्म का प्रदर्शन किया गया। आर्यिका ने कहा कि क्षमा आत्मा का स्वभाव है। क्षमा स्वभावी आत्मा के आश्रय से आत्मा में जो क्रोध, गुस्सा के अभाव रूप शांति, स्वरूप पर्याय प्रकट होती है उसे ही क्षमा कहतें हैं। आत्मा वैसे तो क्षमा स्वभावी है। क्षम धातु से ‘क्षमा शब्द बना है जिसके मायने है सामर्थ, क्षमता। क्रोध का एक ही कारण है अपेक्षा।
यहां भी हुए आयोजन

-प्रताप नगर स्थित शान्तिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर में सुबह स्वर्ण रजत कलशों से भगवान के अभिषेक के बाद शांतिधारा हुई। इसके बाद दीप प्रज्जवलित कर पूजन हुई। शास्त्र प्रवचनों के बाद अरिहंत गु्रप द्वारा भक्ति संध्या हुई।
-10 बी गोपालपुरा बायपास स्थित शांतिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर में उत्तम क्षमा धर्म पर विधान मण्डल पूजा की गई। मंत्री जितेन्द्र जैन और अध्यक्ष निहाल चन्द जैन ने बताया कि शाम को 108 दीपकों से आरती की गई। महिला मंडल की ओर से सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए।

-मधुवन कॉलोनी स्थित पाश्र्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर में नित्य नियम पूजन के साथ शाम को धार्मिक अंताक्षरी कार्यक्रम आयोजित हुआ। अध्यक्ष अक्षय जैन मोदी ने बताया कि शनिवार को धार्मिक नाटक की प्रस्तुति होगी।
– दिगम्बर जैन मंदिर कीर्ति नगर में साजों बाज के साथ विधान पूजन हुई। प्रचार मंत्री प्रेम कुमार जैन ने बताया कि शाम को धार्मिक हाऊजी खेली गई।

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