राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने बांसवाड़ा व प्रतापगढ़ जिले में 500 परिवारों द्वारा भूख से बचने के लिए अपने बच्चों को गिरवी रखने की शिकायतों पर चिंता जताई है। आयोग ने टिप्पणी की है कि यदि शिकायतें सही हैं तो लगता है इन जिलों में केन्द्रीय योजनाओं को लागू करने में राज्य सरकार विफल रही है। आयोग ने इस मामले में मुख्य सचिव से 6 सप्ताह में रिपोर्ट तलब की है, वहीं केन्द्र और राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं के हालात बताने को भी कहा गया है।
राष्ट्रीय आयोग ने मीडिया रिपोर्ट के आधार पर इस मामले में स्वप्रेरणा से प्रसंज्ञान लिया है। खबरों के अनुसार बांसवाड़ा व प्रतापगढ़ जिले के विभिन्न गांवों के 500 परिवारों ने भोजन का प्रबंध करने के लिए 1500 से 2000 रुपए में अपने बच्चों को गिरवी रख दिया है। इन गांवों में नरेगा व भामाशाह योजनाओं का भी लाभ नहीं पहुंचने की शिकायत है।
आयोग के अनुसार गिरवी रखे गए इन बच्चों की उम्र 8 से 12 साल के बीच बताई जा रही है और इन बच्चों को ग्वाले के रूप में काम लिया जा रहा है। आयोग की ओर से कहा गया है कि यदि खबरों में बताए गए हालात सच हैं, तो यह मानव अधिकारों के घोर उल्लंघन की स्थिति होगी। इन बेकसूर बच्चों की पढऩे लिखने की उम्र है, ऐसे में बच्चों को गिरवी रखने की घटना बेहद ही गंभीर है। आयोग ने प्रदेश में चल रही केन्द्र और राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं की स्थिति बताने के लिए भी मुख्य सचिव से कहा है।
आयोग ने राज्य सरकार से कहा है कि इन परिवारों का पता लगाकर उनको मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराई जाए। साथ ही, सर्वे के माध्यम से यह भी पता लगाने को कहा है कि कहीं दूसरे जिलों में भी तो ऐसे हालात उत्पन्न नहीं हो रहे हैं।