जेडीए के पास 482 बीघा – जानकारी के मुताबिक जेडीए के पास सरकारी और मंदिर माफी की 200 बीघा जमीन है। जबकि 282 बीघा जमीन किसानों ने जेडीए को सरेंडर की है। जेडीए शुरूआत में सरकारी भूमि और मंदिर माफी की 200 बीघा पर कब्जा करने की कार्रवाई करेगा। किसान मंदिर माफी की जमीन पर जेडीए के कब्जे का विरोध कर रहे हैं। जबकि जेडीए करीबन 482 बीघा जमीन पर कब्जा लेने की रणनीति बना रहा है। ये कब्जा कब और कैसे लेना है, इस पर जेडीए प्रशासन आज फैसला लेगा।
ये है जमीन का गणित – गौरतलब है कि जेडीए की नींदड़ आवासीय योजना 1,350 बीघा जमीन में बनना प्रस्तावित है। इसमें से 200 बीघा सरकारी और मंदिर माफी की भूमि है। जबकि 282 बीघा किसानों ने समर्पित कर रखी है। बाकी बची करीब 850 बीघा जमीन किसानों ने अभी तक जेडीए को सरेंडर नहीं की है। जेडीए ने इस जमीन को अवाप्त मानते हुए इसका मुआवजा कोर्ट में जमा करवा दिया है। लेकिन किसानों ने कोर्ट से मुआवजा लिया नहीं है।
किसानों ने जो 282 बीघा जमीन जेडीए को सरेंडर की है, उसमें से लगभग 150 बीघा सरेंडर करने वाले किसान सत्याग्रह में शामिल है। बाकी बची 132 बीघा जमीन पर 8 आवासीय कॉलोनियां और 20 ढाणियां बसी है। मंदिर माफी की जमीन पर जेडीए कब्जा ले नहीं सकता। ऐसे में जेडीए सिर्फ सरकारी भूमि पर ही कब्जा ले सकता है।
-नगेन्द्र शेखावत, संयोजक, नींदड़ किसान आंदोलन जेडीए नींदड़ में जमीन पर कब्जा लेने की कार्रवाई करेगा। लेकिन कब्जा कब और कैसे लेना है, इसका फैसला आज होना है। कब्जे की रणनीति बनाने के बाद ही आगे बढ़ेंगे।
राजेन्द्र सिसोदिया, मुख्य प्रवर्तन अधिकारी, जेडीए