14 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने यह क्यूरेटिव पिटिशन खारिज कर दी तो उसने राष्ट्रपति को दया याचिका भेजी और इस कारण 22 जनवरी को होने वाली फांसी टल गई। क्यों कि दया याचिका खारिज होने के बाद दोषी को 14 दिन का समय दिया जाता है और नियम के अनुसार यदि एक ही केस में एक से ज्यादा दोषियों को फांसी की सजा हुई है तो सभी को एक साथ फांसी दी जाती है। यदि किसी एक के कारण फांसी टलती है तो सभी की फांसी टल जाती है।
17 जनवरी को राष्ट्रपति से दया याचिका खारिज होने की सूचना के बाद पटियाला हाउस कोर्ट ने उसी दिन नया डैथ वारंट जारी कर चारों दोषियों को एक फरवरी को फांसी देने के निर्देश जारी किए थे। इस मामले में तीन दोषियों विनय शर्मा,अक्षय सिंह और पवन गुप्ता ने अभी तक दया याचिका नहीं भेजी है। सैशन कोर्ट ने तिहाड़ जेल प्रशासन की ओर से दया याचिका और क्यूरेटिव पिटिशन दायर करने के लिए जरुरी दस्तावेज नहीं देने की दोषियों की पिटिशन खारिज कर दी है।
इसी सप्ताह केन्द्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से फांसी की सजा के संबंध में गाईड लाईंस को बदलने की गुहार की है ताकि दोषी कानूनी उपायों की आड़ में सजा लंबे समय तक नहीं टाल पाएं। सरकार का कहना है कि अभी जो नियम और गाईड लाईंस हैं वह दोषियों के पक्ष में ज्यादा हैं और इस कारण वह कानून से खेलकर अपनी सजा को टालते रहते हैं।