वहीं इस मामले में राजस्थान पत्रिका ने कॉनफेड के अधिकारियों से पूछताछ की तो उन्होंने किल्लत से साफ इनकार कर दिया। उनका कहना था कि मार्च के बाद दवाओं के भौतिक सत्यापन की वजह से दवाअेां के लिए मना किया जा रहा होगा। पेंशनर्स स्टोर पर दवाएं पूरी नहीं मिलने के कारण मरीजों को भारी परेशानी हो रही है। खासतौर पर उन पेंशनर्स को जो कि मासिक तौर पर दवा लेने के लिए राजधानी से ही नहीं, बल्कि प्रदेश भर से आते हैं।
समस्या यह भी है कि सवाई मानसिंह अस्पताल में मिलनी वाली दवाएं आसानी से प्रदेश के अन्य स्टोर्स पर पेंशनर्स को मिलती ही नहीं है।एनओसी से निजी की मौजएक तरफ पेंशनर्स को उपभोक्ता भंडार से पूरी दवा दिए बिना ही वापस लौटाया जा रहा है। वहीं दूसरी ओर इस अवांछित किल्लत से एसएमएस के आस पास निजी दुकानों की मौज हो गई है। उपभोक्ता भंडार से एनओसी लेकर पेंशनर निजी दुकान पर जा रहे हैं, वहां पैसे देकर दवाएं ले रहे हैं। फिर पेंशनर्स इसे सरकार के पास पुर्नभरण के लिए भेज रहा है। यानि, इस अवांछित किल्लत से निजी दुकानों की पूरी मौज हो गई है।आखिर कब तक भौतिक सत्यापनहजारों पेंशनर्स की परेशानी से जुड़े इस मामले में बड़ा सवाल यह खड़ा हो रहा है कि मार्च के बाद 20 दिन मे भी भौतिक सत्यापन पूरा नहीं होने की कीमत आखिर पेंशनर्स से क्यों वसूली की जा रही है। पेंशनर्स लंबी कतार में लगने के बाद जब सुनते हैं कि दस में से दो दवा भी नहीं मिलेगी तो उनका परेशान होना स्वाभाविक नजर आ रहा है।
इन्हें बताई किल्लत एसएमएस उपभोक्ता भंडार पर
जयपुर के बाहर से आए एक पेंशनर्स प्रतिनिधि ने बताया कि वे पांच दिन पहले यहां दवा लेने आए थे। उन्हें हर महीने यहां आकर दवा लेनी होती है। लेकिन उन्हें 70 फीसदी दवाओं की अनुपलब्धता बता दी गई। यह कहा गया कि कुछ दिन में दवाएं आ जाएगी। उन्होंने एनओसी लेकर बाहर से पांच दिन की दवाएं ले ली। लेकिन आज तक भी उन्हें सभी दवाएं उपलब्ध नहीं हो रही है। उन्होंने कहा कि उन्हें भंडार पर भौतिक सत्यपन कारण नहीं बताकर किल्लत ही बताई गई।वर्जनउपभोक्ता भंडारों पर दवाओं की कोई किल्लत नहीं है। इस समय मार्च अंत के बाद भौतिक सत्यापन का
काम चल रहा है, इसलिए मना किया जा रहा होगा। वैसे, में इस पूरे मामले का पता करवाता हूं।रायसिंह मोजावत, प्रबंध निदेशक, कॉनफेड