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जयपुर

रफाल सौदे की जांच की जरूरत नहीं

उच्चतम न्यायालय ने पुनर्विचार याचिका खारिज की

जयपुरNov 15, 2019 / 01:02 am

anoop singh

रफाल सौदे की जांच की जरूरत नहीं

रफाल सौदे की जांच की जरूरत नहीं

नई दिल्ली. उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को लड़ाकू विमान रफाल के सौदे की जांच के लिए दाखिल पुनर्विचार याचिकाओं को खारिज कर दिया। प्रधान न्यायाधीश (सीजेआइ) रंजन गोगोई, जस्टिस एस के कौल और जस्टिस के एम जोसेफ की पीठ ने कहा कि अधिवक्ता प्रशांत भूषण, पूर्व केंद्रीय मंत्रियों यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी की ओर से दायर समीक्षा याचिकाओं में योग्यता का अभाव है। मामले की अलग से जांच करने की कोई आवश्यकता नहीं है।
‘सीबीआइ चाहे तो जांच कर सकती हैÓ : हालांकि जस्टिस केएम जोसेफ ने फैसले में लिखा है कि इन पुनर्विचार याचिकाओं के खारिज होने के बाद भी सीबीआइ चाहें तो शिकायतकर्ता की शिकायत पर एफआइआर दर्ज कर जांच कर सकती हैं। पुनर्विचार याचिकाओं का खारिज होना एजेंसियों की जांच के बीच में नहीं आएगा।
फैसले के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस जोसेफ ने रफाल घोटाले की जांच का बड़ा दरवाजा खोल दिया है। जांच अब पूरी गंभीरता से शुरू होनी चाहिए। इस घोटाले की जांच के लिए एक संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) का गठन भी किया जाना चाहिए।
कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि भाजपा कोर्ट का फैसला पढ़ें बिना ही खुशी मना रही है। सरकार के मंत्री देश को एकबार फिर गुमराह कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने अब राफेल के आपराधिक जांच का दायरा खोल दिया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के रफाल पर नौ सवालों का सरकार ने आज तक जवाब नहीं दिया। वे सवाल आज भी बरकरार हैं, उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी खुशी मनाने के बजाय इसकी जांच कराए।
पिछले साल खारिज की गई थी याचिका : 14 दिसंबर 2018 को रफाल खरीद प्रक्रिया और इंडियन ऑफसेट पार्टनर के चुनाव में सरकार द्वारा भारतीय कंपनी को फेवर किए जाने के आरोपों की जांच की मांग वाली तमाम याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि फैसले लेने की प्रक्रिया में कहीं भी कोई संदेह की गुंजाइश नहीं है।
10 मई को कोर्ट ने सुरक्षित रख लिया था फैसला : गौरलतब है कि कोर्ट ने 10 मई को रफाल मामले में दाखिल रिव्यू पिटिशन पर फैसला सुरक्षित रख लिया था। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता प्रशांत भूषण, पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी व अन्य की ओर से विमान सौदे में जांच की मांग की गई। केंद्र सरकार का कहना था कि रफाल देश की जरूरत है और याचिका खारिज करने की मांग की थी।
केंद्र पर तथ्य छिपाने के लगाए थे आरोप : याचिकाकर्ताओं ने कहा था कि रफाल मामले में शीर्ष कोर्ट का 14 दिसंबर 2018 का फैसला वापस हो और सर्वोच्च अदालत की निगरानी में सौदे की जांच कराई जाए। याचिकाकर्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि केंद्र सरकार ने कई तथ्य सुप्रीम कोर्ट से छिपाए हैं। केंद्र सरकार ने सीलबंद लिफाफे में गलत तथ्य कोर्ट के सामने पेश किए थे, इसीलिए कोर्ट का फैसला भी गलत तथ्यों पर आधारित है। सरकार ने खुद ही कोर्ट के सामने फैसले के अगले दिन अपनी गलती सुधार कर दोबारा आवेदन दाखिल किया था।’
ऐसे लोगों को माफी मांगनी चाहिए
ऐसे लोगों को माफी मांगनी चाहिए, जिन्होंने राष्ट्र हित से ऊपर अपनी निजी राजनीति को रखा, कोर्ट का फैसला उन लोगों को जवाब है, जो आधारहीन और द्वेषपूर्ण प्रचार में जुटे थे। इस फैसले ने एक बार फिर से नरेंद्र मोदी सरकार के पारदर्शी और भ्रष्टाचार मुक्त होने पर मुहर लगाई है। अमित शाह, गृह मंत्री

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