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जेल हाउसफुल-पार्ट 3: बचाव ही ठीक से नहीं होता…कैसे बदले तस्वीर

– जस्टिस ललित भी जता रहे गुणवत्तापूर्ण विधिक सहायता बढ़ाने की जरूरत

जयपुरAug 13, 2022 / 02:27 am

Shailendra Agarwal

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जयपुर. महंगी फीस के कारण अधिक सक्सेस रेट वाले वकीलों की सेवाएं कमजोर तबके के लोगों को नहीं मिलने की शिकायत है, तो मामला अदालत पहुंचने से पहले सरकारी विधिक सहायता लेने वालों की संख्या कम होने को लेकर भी सवाल हैं। देश के नवनियुक्त प्रधान न्यायाधीश यू यू ललित ने भी हाल ही वंचित वर्ग के लोगों के लिए गुणवत्तापूर्ण विधिक सेवाएं बढ़ाने की आवश्यकता जताकर इस ओर इशारा किया है। हाल ही जयपुर में आयोजित देशभर के शीर्ष न्यायाधीशों के सम्मेलन में भी गरीबों को गुणवत्तापूर्ण विधिक सेवाएं नहीं मिलने पर चिंता जाहिर की गई। विधिवेत्ता भी गुणवत्तापूर्ण विधिक सेवाओं के अभाव को जेलों में भीड़ बढ़ने से जोड़ते हैं। थाने में मामला दर्ज होने से लेकर अधीनस्थ अदालतों तक बेहतर विधिक सेवाएं मिलें तो जेलों में संख्या बढ़ने से रोकी जा सकती है। इस कार्य में वकीलों की प्रमुख भूमिका है तो अधीनस्थ न्यायपालिका की भूमिका भी कम नहीं है।
इस ओर ध्यान देने की जरूरत

-थाने में मामला दर्ज होने के समय से ही विधिक सहायता मुहैया कराने पर जोर दिया जाए।

-मजिस्ट्रेट न्यायिक हिरासत बढ़ाने से पहले केस डायरी से इसकी आवश्यकता पर विचार करें।
-विधिक सेवा प्राधिकरण से मिलने वाले वकीलों के परिणाम का विस्तृत अध्ययन हो।

-विधिक सेवा प्राधिकरण से मिलने वाले वकीलों के प्रशिक्षण पर जोर दिया जाए।

– सजा के खिलाफ हाईकोर्ट में समय पर अपील हो और उन पर जल्दी सुनवाई हो।
राजस्थान की जेलों में विचाराधीन बंदियों की स्थिति

कितने समय से बंद— संख्या (प्रतिशत में )

3 माह या उससे कम —33

3 माह से दो साल ——50

2 से 5 साल ————14
5 साल से अधिक ——03

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