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सवाई माधोपुर

नोटबंदी ने छीनी गेंदे की ताजगी-खुशबू

पांच सौ व हजार के पुराने नोट बंद कर दिए जाने से फूल-पौधे के कारोबार पर भी असर पड़ा है। जयपुर से बाहर बिकने भेजे जाने वाले गेंदे के फूल-पौधे खत्म होने के कगार पर पहुंच गए है। खरीददार नहीं होने के कारण किसान इन पौधों को निशुल्क वितरित कर रहा है।

सवाई माधोपुरNov 26, 2016 / 08:14 pm

Ajay Sharma

Notbandi: Snatch freshness of lilies

Notbandi: Snatch freshness of lilies

जयपुर. पांच सौ व हजार के पुराने नोट बंद कर दिए जाने से फूल-पौधे के कारोबार पर भी असर पड़ा है। जयपुर से बाहर बिकने भेजे जाने वाले गेंदे के फूल-पौधे खत्म होने के कगार पर पहुंच गए है। खरीददार नहीं होने के कारण किसान इन पौधों को निशुल्क वितरित कर रहा है। मामला है जयपुर मानसरोवर, पत्रकार कॉलोनी से सटे किसानों का। ये किसान फूल और पौधों को बेचकर अच्छा कमाते थे, इस बार इनको खरीददार नहीं मिल रहा है। बाजार में रुपए नहीं होने से कोई इनका माल नहीं खरीद रहा।
बांटेंगे नहीं तो खराब हो जाएंगे

पत्रकार कॉलोनी के पास फूल की खेती करने वाले लालाराम का कहना है कि नोटबंदी मेरे माल को इतना खराब करेगी। इसकी उम्मीद नहीं थी। हर साल माल अब तक बिक जाता था लेकिन इस बार 500 और 1000 रुपए का पुराना नोट बंद हो जाने से माल भी बाहर नहीं जा सका। इसी के चलते शनिवार को गेंदे के पौधे और फूल मुफ्त में वितरित किए। एक महीने बाद यह पौधे बेकार हो जाएंगे, यह किसी के काम के नहीं रहेगें। शनिवार को सुबह से ही वैशाली नगर, मानसरोवर सहित अन्य जगहों से लोग गेंदे की अलग-अलग वैरायटी को अपने परिवार के साथ लेने आए। करीब सौ से ज्यादा लोगों ने शाम तक यह पौधे लिए। यह पौधे बिजनेस करने वालों की बजाय घर वालों के लिए ही दिए जा रहे हंै। रविवार को भी पौधे वितरित किए जाएंगे।
बाहर जाता था माल

यहां से फूल और पौधे प्रदेश के कई हिस्सों में बिकने के लिए जाते हैं। जयपुर का गेंदा और गुलदाउदी बेहतर माना जाता है। एेसे में इनकी मांग भी बनी रहती है। इस बार पुराने नोट तो चल नहीं रहे और नए बाजार में आए नहीं। इसलिए व्यापारी माल मंगवाकर रिस्क नहीं लेना चाहते।

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