scriptअब जीएसटी ट्रांजिशनल क्रेडिट का लाभ नहीं ले पाएंगे कारोबारी | Now businessmen will not be able to take advantage of GST Transitional | Patrika News
जयपुर

अब जीएसटी ट्रांजिशनल क्रेडिट का लाभ नहीं ले पाएंगे कारोबारी

राजस्थान उच्च न्यायालय ( Rajasthan High Court ) ने एक फैसला दिया है, जिसके बाद वे कारोबारी ( businessmen ) जिनका किसी वजह से वैट ( VAT ) का ट्रांजिशनल क्रेडिट बकाया था वे उसका लाभ नहीं ले पाएंगे। फैसले के अनुसार ट्रान 1/2 फॉर्म की छोटी मोटी खामी अथवा देरी की वजह से अगर किसी का वैट ( VAT ) , सर्विस टैक्स ( service tax ) अथवा एक्साइज ड्यूटी ( excise duty ) का क्रेडिट फैज मैं आने से रह गया है तो व्यापारी उसका लाभ नहीं ले पाएंगे।

जयपुरAug 01, 2020 / 07:58 pm

Narendra Singh Solanki

अब जीएसटी ट्रांजिशनल क्रेडिट का लाभ नहीं ले पाएंगे कारोबारी

अब जीएसटी ट्रांजिशनल क्रेडिट का लाभ नहीं ले पाएंगे कारोबारी

जयपुर। राजस्थान उच्च न्यायालय ने एक फैसला दिया है, जिसके बाद वे कारोबारी जिनका किसी वजह से वैट का ट्रांजिशनल क्रेडिट बकाया था वे उसका लाभ नहीं ले पाएंगे। फैसले के अनुसार ट्रान 1/2 फॉर्म की छोटी मोटी खामी अथवा देरी की वजह से अगर किसी का वैट, सर्विस टैक्स अथवा एक्साइज ड्यूटी का क्रेडिट फैज मैं आने से रह गया है तो व्यापारी उसका लाभ नहीं ले पाएंगे। हाईकोर्ट का यह फैसले ऐसे समय में आया है, जबकि यह सर्वविदित है कि जीएसटी लगाने के समय विभाग की स्वयं की वेबसाइट सुचारु रूप से कम नहीं कर रही थी और इस कारण दी गई समय अवधि में कई कारोबारी वैट आदि के ट्रांजिशनल क्रेडिट का लाभ नहीं ले पाए। हाईकोर्ट के इस फैसले को टैक्स प्रोफेशनल्स ने भी निराशाजनक बताया है, क्योंकि, इसी सम्बन्ध मैं देश के विभिन्न हाईकोर्ट, मसलन दिल्ली, गुजरात, पंजाब – हरियाणा, कोलकाता, केरला आदि द्वारा इन्हीं तथ्यात्मक विषयवस्तु मैं व्यापारी को ट्रांजशिनल क्रेडिट का लाभ दिया गया है।
बता दें, ट्रांजशिनल क्रेडिट व्यापारी के द्वारा पुरानी टैक्स व्यस्वस्था के अंतर्गत दिया गया कर है, जिसका समायोजन पुरानी व्यवस्था के अंतर्गत दिया जाना था। हालांकि एक जुलाई 2017 से देश में जीएसटी लागू होने के कारण उसका समायोजन ट्रांजशिनल क्रेडिट के रूप में दिए जाने के प्रावधान बनाये गए थे। पर कई कारणों से अनेक कारोबारी इसका लाभ नहीं उठा सके। कारोबारियों का कहना है कि इस प्रकार के मामलों में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय काफी स्पष्ट है, जिनके अनुसार इनपुट टैक्स क्रेडिट को संविधान निहित अधिकार माना गया है। ऐसे में आज के निर्णय के बाद यह विवाद सुप्रीम कोर्ट में जाना तय है। इस बारे में अधिवक्ता और वरिष्ठ कर सलाहकार जतिन हरजाई ने बताया कि कोर्ट का फैसला दुर्भाग्यपूर्ण है। यह पैसा व्यापरी का ही था जो उसे सरकार से सेट ऑफ के माध्यम से लेना था, लेकिन प्रक्रियाओं का हवाला देकर यह बेनिफिट रोक दिया गया है। दिल्ली और हरियाणा के हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ ऐसी ही एक एसएलपी को सुप्रीम कोर्ट सुनने से इंकार कर चुका है। वहीं इस बारे में कारोबारी सु्प्रीम कोर्ट का भी रूख कर सकते हैं।

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