तीन विधेयक बिना बहस पारित, 3 पर 3 विधायक ही बोले
राजस्थान विधानसभा का 11 वां और संभवतया आखिरी सत्र अनिश्चितकाल के लिए स्थगित- किसानों-बेरोजगारों के मुद्दों पर कांग्रेस सदस्य वैल में करते रहे नारेबाजी
विधानसभा का 11 वां सत्र शनिवार को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया। इसे 14 वीं विधानसभा का आखिरी सत्र माना जा रहा है। आखिरी दिन करीब 3 घंटे विधानसभा चली और उसमें से 1 घंटा 25 मिनट में 6 विधेयक पारित हो गए। तीन विधेयकों पर तो किसी विधायक ने मुंह तक नहीं खोला। सर्वाधिक बहस लोकायुक्त का कार्यकाल 5 से बढ़ाकर 8 साल करने वाले विधेयक पर हुई, लेकिन 2 ही विधायकों ने भाग लिया। स्टाम्प पर गौवंश के लिए अधिभार और जयपुर में जलप्रदाय व मलवहन बोर्ड के गठन वाले विधेयक पर एक—एक विधायक ने ही आपत्ति एवं सुझाव पेश किए। कांग्रेस के सदस्य इस दौरान किसान और बेरोजगारों पर चर्चा व विधानसभा सत्र की अवधि बढ़ाने की मांग को लेकर वैल में नारेबाजी करते रहे, जबकि सत्तापक्ष से किसी ने बहस में भाग लिया। सत्तापक्ष की ओर बैठे घनश्याम तिवाड़ी बोले, लेकिन वे भाजपा से इस्तीफा देकर नई पार्टी का गठन कर चुके हैं।
शून्यकाल के बाद कांग्रेस सदस्य गोविन्द डोटासरा ने सदन का समय बढ़ाने, किसानों व बेरोजगारों के मुद्दे पर चर्चा की मांग उठाई। शोरगुल होने पर विधानसभा उपाध्यक्ष राव राजेन्द्र सिंह ने कहा, कभी-कभी सदन में शांति भी रहनी चाहिए। इसी बीच डोटासरा ने कांग्रेस सदस्यों को वैल में बुला लिया। इस दौरान नेता प्रतिपक्ष रामेश्वर डूडी सीट पर बैठे रहे। हंगामे के दौरान ही मंत्रियों ने 68 अधिसूचना सदन के पटल पर रख दी।
करीब 19 विभागों की अनुपूरक मांग और विनियोग विधेयक से विधायी कार्य की शुरुआत हुई। गौवंश के लिए अधिभार बढ़ाने को स्टाम्प संशोधन विधेयक पेश किया गया। इस पर बसपा विधायक मनोज न्यांगली ने कहा कि स्टाम्प ड्यूटी पर अधिभार लगाने से किसानों को नुकसान हो रहा है। घोषणा के बावजूद नंदी गोशालाएं नहीं खोलने का मुद्दा भी उठाया। स्टाम्प संशोधन विधेयक पर 10 मिनट से भी कम बहस के बाद मूल्य परिवर्धित कर संशोधन विधेयक और माल एवं सेवा कर संशोधन विधेयक बिना बहस ही पारित हो गए।
पहले समन्वय कम था, इसलिए बना रहे बोर्ड
संसदीय कार्य मंत्री राजेन्द्र राठौड़ ने जयपुर जलप्रदाय और मलवहन बोर्ड विधेयक सदन में पेश किया तो विधायक घनश्याम तिवाड़ी ने बीसलपुर बांध से पानी और सीवरेज सुविधा को लेकर सरकार को घेरा। उन्होंने सवाल उठाया कि बोर्ड के गठन पर सफाईकर्मियों का क्या होगा। जब वर्तमान में ही जयपुर में सीवरेज के लिए सरकार से गारंटी नहीं मिल रही तो इस बोर्ड को गारंटी कौन देगा? राठौड़ ने कहा, वर्तमान व्यवस्था में समन्वय की कमी के कारण बोर्ड बनाया जा रहा है। इसे जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के समान अनुदान जारी रहेगा। इसी दौरान तिवाड़ी ने रामगढ़ बांध सूखने, राजधानी में जल संकट और ईसरदा बांध निर्माण के मुद्दे उठाए। राठौड़ ने जवाब में कहा, अन्य मुद्दों पर अलग से विचार किया जाएगा।
सवाल: लोकायुक्त को सशक्त क्यों नहीं बनाते?
विधायक घनश्याम तिवाड़ी व हनुमान बेनीवाल ने लोकायुक्त का कार्यकाल बढ़ाने पर एतराज किया, वहीं गृहमंत्री गुलाब चंद कटारिया ने मौजूदा लोकायुक्त एसएस कोठारी के काम गिनाते हुए उनकी तारीफ की। तिवाड़ी ने कहा कि आपत्ति कोठारी के चयन पर नहीं है क्योंकि चयन पर उनकी स्वयं की सहमति थी। कार्यकाल बढ़ाने के पीछे काले कारनामों पर पर्दा डालने की मंशा है। लोकायुक्त को मध्यप्रदेश-कर्नाटक की तरह शक्तियां दी जाती तो अच्छा होता। लोकायुक्त की रिपोर्ट पर सरकार ने कुंडली मार रखी है। हनुमान बेनीवाल ने एमपी व उत्तराखंड जैसे लोकायुक्त की मांग करते हुए कहा कि उसकी अपनी पुलिस होनी चाहिए। खान घोटाले में आरोपित अशोक सिंघवी के कहने पर लोकायुक्त पर जांच अधिकारी बदलने का आरोप लगाया, तो संसदीय कार्यमंत्री राजेन्द्र राठौड़ ने एतराज किया और विधानसभा उपाध्यक्ष राव राजेन्द्र सिंह ने बेनीवाल को सुधार के लिए सुझाव देने को कहा। बेनीवाल ने कहा कि लोकायुक्त ने सीपी कोठारी को रीको निदेशक नियुक्त करने वाले पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सहित सभी लोकसेवकों पर एफआइआर दर्ज कर सीबीआइ जांच की सिफारिश की थी। सरकार ने अब तक एफआइआर और सीबीआइ जांच क्यों नहीं कराई? जो लोकायुक्त गहलोत ने नियुक्त किया, वह मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को कैसे पसंद आ गया? पांच साल में जितने काले कारनामे किए, उन पर पर्दा डालने का मिला-जुली का खेल हो रहा है। बेनीवाल ने सवाल उठाया कि प्रधानमंत्री-राष्ट्रपति का कार्यकाल भी 5 साल का होता है, लोकायुक्त का कार्यकाल 8 साल क्यों किया जा रहा है। उन्होंने विधेयक जनमत जानने को भेजने की मांग की।
जो दायरे से बाहर, उनके लिए भी प्रस्ताव
गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया ने मुख्यमंत्री सहित अन्य को लोकायुक्त के दायरे में लाने की मांग के जवाब में कहा कि जो दायरे में नहीं हैं, उनके लिए भी प्रस्ताव चलाया है। मौजूदा लोकायुक्त ने बहुत काम किया है। इनके समय 23983 मामले आए और 23754 का निस्तारण हो गया। माथुर आयोग के भी प्रतिशत मामलों का निस्तारण हो गया है। बचे मामलों के लिए समयावधि बढ़ाना जरूरी है। 2315 प्रकरणों पर अनुतोष दिलाया। लोकायुक्त की सिफारिश पर विभागीय कार्यवाही भी हुई हैं। राज्यपाल ने खान घोटाला भी लोकायुक्त को दिया। बीस लोकसेवकों पर कार्रवाई की गई, निदेशक स्तर के अधिकारी पर भी कार्रवाई की गई। लोकायुक्त ने मिसाल कायम की है, यद्यपि उनका चयन पिछली सरकार ने किया था।
कटारिया ने तिवाड़ी व बेनीवाल से कहा कि जितना गुबार था उतना इस विधेयक के बहाने आपने निकाल लिया। कटारिया ने तिवाड़ी से कहा कि आपकी भावना पहले ही समझता था। आप वार कहां करना चाहते हो, कहना क्या चाहते हो। इस पर तिवाड़ी ने चुटकी ली कि मेरी भावना समझते तो आप वहां पर होते ही नहीं।
बांसुरी तो बजेगी ही
विधायक घनश्याम तिवाड़ी ने वन संशोधन विधेयक पारित होने के दौरान चुटीले अंदाज में कहा कि बांस काटने के लिए कानून (वन संशोधन विधेयक) लाया जा रहा है क्योंकि उनकी पार्टी का चुनाव चिह्न बांसुरी आया है। सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि ये चाहते हैं बांसुरी बजे ही नहीं, लेकिन बांसुरी तो बजेगी।
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