प्रस्तुति में दिखे विभिन्न रस
दूसरे चरण की प्रस्तुति प्रायोगिक स्वरूप पर आधारित थी। इसमें दिवगंत भगवत शरण चतुर्वेदी के आलेख पर आधारित इस नृत्य संरचना में विभिन्न बंदिशों के माध्यम से पेश किया गया। इसमें पृथ्वी पर गंगा के जल की मन:स्थिति को दर्शाया गया। प्रस्तुति में कलाकारों ने जल के वीर, शृंगार, हास्य, वात्सल्य, वीभत्स, रौद्र, भयानक, करूण और शांत रसों को पेश कर दर्शकों का मन मोह लिया। दूसरे चरण में संगीत निर्देशन पं. आलोक भट्ट ने किया। लय संयोजन पं. प्रवीण आर्य का था।
दूसरे चरण की प्रस्तुति प्रायोगिक स्वरूप पर आधारित थी। इसमें दिवगंत भगवत शरण चतुर्वेदी के आलेख पर आधारित इस नृत्य संरचना में विभिन्न बंदिशों के माध्यम से पेश किया गया। इसमें पृथ्वी पर गंगा के जल की मन:स्थिति को दर्शाया गया। प्रस्तुति में कलाकारों ने जल के वीर, शृंगार, हास्य, वात्सल्य, वीभत्स, रौद्र, भयानक, करूण और शांत रसों को पेश कर दर्शकों का मन मोह लिया। दूसरे चरण में संगीत निर्देशन पं. आलोक भट्ट ने किया। लय संयोजन पं. प्रवीण आर्य का था।