scriptरियासत काल में महाराजा व अंग्रेज ही मनाते थे नए साल का जश्न, उल्लेखनीय कार्य पर प्रदान की जाती थी उपाधियां | Old Jaipur New Year Celebration- Jaipur History | Patrika News
जयपुर

रियासत काल में महाराजा व अंग्रेज ही मनाते थे नए साल का जश्न, उल्लेखनीय कार्य पर प्रदान की जाती थी उपाधियां

शाही आयोजनों से बेखबर धार्मिक आस्था के लोग देर रात तक मंदिरों में भगवान को भजनों से रिझाते और दाल के बड़ों और गरम खीचड़े का भोग लगाते…

जयपुरJan 01, 2018 / 05:19 pm

dinesh

Royal Jaipur
जयपुर। तब आज की तरह नववर्ष मनाने का प्रजा में कोई उत्साह नहीं था। 31 दिसम्बर की रात और दूसरे दिन महाराजा और रेजीडेंट के साथ बड़े हाकिम ही नए साल के जश्न को उत्साह के साथ मनाते थे। आम जनता नववर्ष के आज जैसे आयोजनों से पूरी तरह बेखबर थी। रात को महलों के शाही आयोजन में रेजीडेंट के अलावा सामंत और बड़े संभ्रात लोग ही आनंद उठाते थे। झकझोर देने वाली कडकड़़ाती सर्दी में रियासत का शासन डांस व डिनर पार्टियों को सफल बनाने में पहले से जुट जाता। दूसरी तरफ ऐसे शाही आयोजनों से बेखबर कुछ धार्मिक आस्था के लोग हमेशा की तरह देर रात तक मंदिरों में भगवान को भजनों से रिझाते और दाल के बड़ों और गरम खीचड़े का भोग लगाते। उन दिनों भक्त कवि युगल किशोर चतुर्वेदी के रचित भजनों का शहर में विशेष उत्साह था।

समाजसेवी हरिनारायण मेणवाल, शिव प्रसाद सोनी जैसे लोग पौष बड़े, गुलगुले और खीचड़े का भोग लगा गरीबों में बांटते। गली-मोहल्लों-चौराहों पर लकड़ी का अलाव जला लोग देर तक तापते रहते। 31 दिसम्बर की रात में जयपुर होटल, न्यू होटल, रुस्तमजी का रॉयल होटल, केसरे हिन्द होटल और जयपुर क्लब में डांस और डिनर पार्टियां होती। एक जनवरी 1919 को प्रथम विश्व युद्ध में विजय की खुशी में नाहरगढ़, सिटी पैलेस , अलबर्ट हाल, ईश्वर लाट, आमेर किला व बाजारों को गैस की बिजली से रोशन कर सजाया गया और स्कूल-कॉलेजों में विद्यार्थियों को लड्डू बांटे गए। कु छ कैदियों को रिहा करने के साथ कुछ की सजा में कमी की गई। सवाई राम सिंह, माधोसिंह व सवाई मानसिंह भी एक जनवरी की रात में अंग्रेज अफसरों, सामंतों व हाकिमों को भोज देते।
सिटी पैलेस के बजाय खासा कोठी में नए साल की पार्टी
सन 1935 में हिन्दी, अंग्रेजी व उर्दू में छपी जयपुर गजट स्मारिका में नव वर्ष पर आयोजित समारोह में सवाई मानसिंह द्वितीय के भाषण देने का उल्लेख है। बाद में सवाई मानसिंह ने सिटी पैलेस के बजाय खासा कोठी में नए साल की पार्टी देना शुरू किया। 26 दिसम्बर 1926 को जयपुर में पहली बार बिजली आई तब अगली एक जनवरी 1927 को नव वर्ष पर सरकारी इमारतों और रेलवे स्टेशन को बिजली से रोशन किया गया। नव वर्ष की बधाई का स्टेशन पर बैनर भी लगाया गया। सियाशरण लश्करी के मुताबिक उन दिनों राम प्रकाश नाटक घर में पारसी कम्पनी भी रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम करती।
नव वर्ष पर प्रदान की जाती थी ब्रिटिश सरकार की ओर से दी गई उपाधियां
रियासत में उल्लेखनीय कार्य करने वालों को ब्रिटिश सरकार की ओर से दी गई उपाधियों को महाराजा नव वर्ष पर प्रदान करते। सन 1899 व 1900 में पूरे भारत के अकाल की चपेट में आने की वजह से दो साल तक नए साल का जश्न नहीं मनाया गया। 7 सितम्बर 1922 में सवाई माधोसिंह की मृत्यु पर छह माह का राजकीय शोक होने से 1 जनवरी 1923 को नए साल का समारोह नहीं हुआ।

Home / Jaipur / रियासत काल में महाराजा व अंग्रेज ही मनाते थे नए साल का जश्न, उल्लेखनीय कार्य पर प्रदान की जाती थी उपाधियां

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो