कोरोना की दूसरी लहर में डेल्टा वेरिएंट के संक्रमण में लोगों में सांस फूलना और खांसी मुख्य लक्षण के रूप में थे। वहीं ओमिक्रॉन संक्रमण में नाक में खुजली रहना, पानी आना, गले में खराश मुख्य लक्षण हैं। इसमें सांस फूलने जैसे लक्षण दिखाई नहीं दे रहे हैं।
तोड़ रहा है इम्युनिटी
भले ही ओमिक्रॉन को लेकर विशेषज्ञ इसे माइल्ड संक्रमण कह रहे हों, लेकिन यह हर तरह की इम्युनिटी को तोड़कर संक्रमित कर रहा है। पहली लहर में जो लोग संक्रमित हुए थे, उनमें इम्युनिटी हर्ड हुई थी। दूसरी लहर में ऐसे कम लोग संक्रमित हुए थे, जो पहली लहर में संक्रमित हो चुके थे। जबकि ओमिक्रॉन वेरिएंट पहले से संक्रमित होकर ठीक हो चुके मरीजों के साथ ही दोनों डोज वैक्सीन ले चुके लोगों की इम्युनिटी को तोड़ने में भी सफल हो रहा है। हालांकि यह दो से तीन दिनों में ठीक भी हो रहा है, लेकिन इसके पोस्ट कोविड प्रभाव क्या रहेंगे, यह अभी सामने नहीं आया है।
ओमिक्रॉन वेरिएंट को दुनियाभर के कई देशों में मामूली संक्रमण जैसा ही माना गया है। लेकिन यूरोप के देशों में इंग्लैंड को छोड़कर अन्य में यह खतरनाक रूप में सामने आया और वहां से डेल्मीक्रॉन कहा गया है। यह डेल्टा की तरह बुरा प्रभाव छोड़ रहा है। फ्रांस, जर्मनी में इसके बुरे प्रभाव देखने को मिल रहे हैं।
— डबल मास्क लगाएं, यह संक्रमण से 90 प्रतिशत बचाता है
— वैक्सीन की दोनों डोज लें
— सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें
— सांस फूलने वाली गतिविधियों से बचें इनका कहना है
अभी तक यह माइल्ड ही है, लेकिन यह कब खतरनाक रूप ले ले, कहा नहीं जा सकता। कई यूरोपीय देशों में इसका प्रभाव खतरनाक स्तर पर है। इसकी पॉजिटिविटी रेट भी डेल्टा की तुलना में ज्यादा है।
डॉ. वीरेंद्र सिंह, कोरोना महामारी के लिए मुख्यमंत्री सलाहकार