ऐसे बना दहशत का पर्याय — आनंदपाल अपराध की दुनिया में बलबीर गैंग की वजह से आया — कहानी शुरू होती है 1997 से, तब बलबीर बानूड़ा और राजू ठेहट दोस्त हुआ करते थे।
— दोनों शराब के धंधे से जुड़े हुए थे, 2005 में हुई एक हत्या ने दोनों दोस्तों के बीच दुश्मनी की दीवार खड़ी कर दी। — शराब ठेके पर बैठने वाले सेल्समैन विजयपाल की राजू ठेहट से किसी बात पर कहासुनी हो गई।
— पुलिस के मुताबिक-विवाद इतना बढ़ा कि राजू ने अपने साथियों के साथ मिलकर विजयपाल की हत्या कर दी। — आनंदपाल 2006 से अपराध जगत में शामिल हुआ। तब से उसने अपना क्राइम ग्राफ लगातार बढ़ाया।
— 2006 में उसने राजस्थान के डीडवाना में जीवनराम गोदारा की गोलियों से भूनकर हत्या कर दी थी। — 2011 तक गोदारा व फोगावट हत्याकांड से कुख्यात हुआ — 29 जून 2011 को आनंदपाल ने सुजानगढ़ में गोलियां चलाकर तीन लोगों को घायल कर दिया
— 2006 से 2011 तक आनंदपाल गुनाह पर गुनाह करता चला गया और कुख्यात बदमाश, पुलिस भगोड़ा मोस्टवांटेड बन गया। इस अवधि में आनन्दपाल ने अपनी गैंग भी बना ली। — 2011 से 2015 तक आनंदपाल ने अपनी 10 से 20 जनों की गैंग को 200 की गैंग में तब्दील किया। आनंदपाल गिरोह के करीबी गुर्गे नागौर, सीकर, चूरू, जयपुर में पैसे वालों को चिन्हित करने में जुटा।
— पूरी टीम तैयार होते ही आनंदपाल ने जयपुर के निकट फागी में एसओजी के सामने सरेंडर कर दिया। — जेल में उसकी एक महिला सहयोगी अनुराधा भी मिलने आती थी। — 15 सितंबर 2012 को आनंदपाल को फागी रेनवाल स्थित एक फॉर्म हाउस से दबोच लिया था।
— 3 सितंबर 2015 को पुलिस पर फायरिंग करके परबतसर से आनंदपाल सिंह, सुभाष मूड़ और श्रीवल्लव फरार हुआ। — 24 जून, 2017 चूरू के मालासर में पुलिस और गैंगस्टर के बीच मुठभेड़, मारा गया आनंदपाल।