हाल ही में जयपुर कल्चरल सोसायटी की ओर से ऑनलाइन डांस कॉम्पीटिशन का आयोजन किया गया। संस्था अध्यक्ष डॉ.आनन्द गंगवार ने बताया कि कॉम्पीटिशन में युवाओं का क्रेज देखा गया। जिसके चलते प्रतिभागी सलोनी विश्नोई ने 6500 से अधिक व्यूज़ व 1500 लाइक प्राप्त कर प्रथम स्थान प्राप्त किया। दूसरे स्थान पर खुशी शर्मा 5000 से अधिक व्यूज़ मिले जबकि तीसरे स्थान के लिए इशा माथुर ने 4600 व्यूज प्राप्त किए।
इसी प्रकार सच्चा सुर नामक कॉम्पीटिशन में भी युवा प्रतिभागियों ने अपनी कला का प्रदर्शन किया। इसके अलावा सदभावना परिवार फाउंडेशन की ओर से भी ऑल इंडिया ऑनलाइन घूमर डांस कॉम्पीटिशन हुआ। जिसमें युवाओं के साथ बच्चों ने भी अपनी कला का लोहा मनवाया। आयोजक रोहित शर्मा ने बताया कि कॉम्पीटिशन में बच्चों का जोश देखते ही बनता था। उन्होंने कहा कि कॉम्पीटिशन में जयपुर, दिल्ली, राजसमंद, कोटा, जोधपुर, उदयपुर सहित कई जगहों से महिलाओं ने अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर खूबसूरत प्रस्तुतियां दीं। इस मौके पर विनर्स को अवॉर्ड भी दिए गए।
ऑनलाइन खिलेंगे संस्कृति के रंग ऑनलाइन म्यूजिक की तर्ज पर ही अब राजस्थान के लोक कलाकारों को आर्थिक मदद पहुंचाने के लिए लोक संवाद संस्थान के सभी ऑन लाइन माध्यमों जैसे फेसबुक, इंस्ट्राग्राम आदि के जरिए लोक कलाकार अपनी प्रस्तुतियां देंगे। कलाकारों की पीड़ा के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए विख्यात लोक कलाकारों की ओर से राजस्थानी लोक संगीत और नृत्य प्रदर्शन का सीधा प्रसारण 14 जून शाम 5 बजे से किया जाएगा। जिसके तहत राजस्थान के लोक संगीतकार और लोक नर्तक एक मंच पर अपनी कला का प्रदर्शन करेंगे। जिनमें कुसुम कछवाहा, शकूर खान लंगा, इरफान खान लंगा, शफी खान लंगा और हयात खान लंगा जैसे कलाकार शामिल होंगे। यह सभी कलाकार राजस्थानी लोक नृत्य और संगीत की सदियों पुरानी विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं।
कलाकारों को आर्थिक रूप से मिलेगा समर्थन इस कार्यक्रम का प्रदर्शन मारु मणि के एक भाग के रूप में ऑनलाइन होगा, जोकि एक सामाजिक अभियान है। जिसका मकसद डिजिटल चैनल के माध्यम से ब्रांड जागरूकता पैदा करना, सामुदायिक जुटाव और क्राउड-फंडिंग के माध्यम से इन कलाकारों को आर्थिक रूप से समर्थन देना है। जयपुर स्थित एनजीओ लोक संवाद संथान के सचिव कल्याण सिंह कोठारी ने बताया कि इसका उद्देश्य, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से राजस्थानी लोक कलाकारों का उत्थान करना है। उन्होंने कहा कि यह कलाकार मौखिक वंशावलीकार हैं। कथाकारों और मनोरंजनकर्ताओं को सहायता और समर्थन की आवश्यकता है।
कई संस्थाओं के सहयोग से शुरू होगी यह पहल मारु मणि लोक संवाद संस्थान की ओर से चलाई जाने वाली यह एक पहल है, जिसमें रूपन संस्थान, जोधपुर, (रिसर्च पार्टनर), एपीजे इंस्टिटूट ऑफ मास कम्युनिकेशन, द्वारका (नई दिल्ली), सोशल मीडिया कैंपेन पार्टनर, और यूपीईएस विश्वविद्यालय, देहरादून इन पारंपरिक लोक की जरूरतों और चिंताओं को दूर करने के लिए एक साथ सहयोग कर रहे हैं। पश्चिमी राजस्थान के रेगिस्तानी जिलों के कलाकार को आर्थिक सहायता पहुंचाने के लिए चलाई गई इस मुहिम का उदेश्य लोक कलाकारों की ख्याति बढ़ाना और इस मुश्किल घडी मे उनकाे संबल देना है।