एडवोकेट तनवीर अहमद ने बताया कि अंग्रेजी विषय का टीचर याचिकाकर्ता थैलिसिमिया रोग से ग्रस्त है और अशक्तता से ग्रसित व्यक्तियों के अधिकार कानून-2016 के तहत अशक्त की श्रेणी में आता है साथ ही उसका बेटा भी अशक्त है। शिक्षा विभाग ने प्रमोशन के लिए प्रारंभ में उसे अशक्त नहीं माना था लेकिन बाद में उसे बस्सी में पोस्टिंग दी। जबकि जयपुर शहर में कई पद रिक्त हैं। याचिकाकर्ता को महीने में दो बार ब्लड ट्रांसफ्यूजन करवाना होता है और साथ ही अपने नि:शक्त बेटे की देखभाल भी करनी होती है। सरकार की ओर से याचिकाकर्ता को अंग्रेजी के सिनियर टीचर के पद पर प्रमोशन के बाद पहले फागी पोस्टिंग दी थी लेकिन बाद में आग्रह करने पर बस्सी लगा दिया। याचिकाकर्ता ने बस्सी में कार्यभार संभाल लिया है और जयपुर में रिक्त पद कैंसर व ब्रेन ट्यूमर से ग्रसित मरीजों के लिए हैं। कोर्ट ने कहा है कि अदालती निर्देश से पेश सरकार के शपथ पत्र के अनुसार जयपुर शहर में अंग्रेजी टीचर ग्रेड-दो के रिक्त पद हैं। किसी जिले में पोस्टिंग करना पूरी तरह से संबंधित अधिकारी के क्षेत्राधिकार में है और कोर्ट सरकार या प्रशासनिक फैसले में कोई दखल देने की मंशा नहीं रखता। कोर्ट ने याचिकाकर्ता की स्थिति को देखते हुए उसे जयपुर शहर में पोस्टिंग देने और इस संबंध में सात दिन में फैसला करने के निर्देश दिए हैं।